मैं वैली स्कूल में आई. सी. एस. ई में भी हिंदी पढ़ाती हूँ । इस बोर्ड के हिंदी पेपर में कहावत के ऊपर एक निबंध पूछा जाता है । बच्चों से कई सारी कहावतों पर निबंध लिखाना मुश्किल है इसलिए हर छात्र-छात्रा को अलग-अलग कहावत दी जाती है जिस पर वे निबंध लिखते हैं और फिर कक्षा में सब छात्र-छात्राएँ अपने लिखे निबंध पढ़ते हैं जिससे सबको कहावतें भी समझ आ जाएँ और परीक्षा में उन्हें कोई मुश्किल न हो । इन कहावतों पर लिखे निबंधों को छात्र-छात्रों को सुनाया जा सकता है या उन्हें पढ़ने के लिए दिया जा सकता है जिससे उन्हें कहावतों का अर्थ अच्छी तरह से समझ आ सके । हर कहावत के आगे वर्ष लिखा गया है , इसका मतलब है कि यह कहावत बोर्ड में उस वर्ष में पूछी गई है । आशा है कि यह सामग्री अध्यापकों और अध्यापिकाओं के साथ-साथ छात्र-छात्राओं के लिए भी उपयोगी होगी ।
A. लालच बुरी बला है (अमोल, कक्षा नौ)
"लालच बुरी बला है"- किसी ने सच ही कहा है। लालच
करने से आज तक किसी का भी भला नहीं हो पाया है और इसलिए ही शायद यह कहा गया है कि
संतोष से काम करने में सफलता मिलती है। ऐसा ही कुछ हमारे गाँव में रहने वाले
गंगाराम जी के साथ हुआ । गंगाराम जो दीनापुर नामक गाँव में रहता था । उसके पास कुछ
गाय-भैंसें थीं जिनकी देखभाल करके, उन्हीं से अपनी ज़िंदगी बसर किया करता था ।
एक दिन गंगाराम दूध दुह रहा था। दूध दोहते-दोहते उसे लगा कि
उसे अपनी ज़िंदगी में चार पैसे ज़्यादा कमाने चाहिए और वह सोचने लगा कि उसे इसके लिए
क्या करना चाहिए? उस दिन गंगाराम बहुत अच्छे मूड में लग रहा था । उसे भी अमीर बनने
का चाव था क्योंकि वह अपनी गरीबी से बहुत दु:खी हो गया था ।
उस दिन कुछ ज्याद ही दूध दिया था गाय-भैंसों ने । शायद
इसलिए ही गंगाराम भी बहुत खुश था । फिर वह सोचने लगा कि इस सारे दूध को बेचकर वह
खूब सारे पैसे लाएगा और उससे एक अच्छी-सी स्वस्थ भैंस खरीदेगा । उस भैंस से उसे और
ज़्यादा दूध मिलेगा फिर वह दूध से दही जमा देगा, दही के तो उसे और भी अच्छे दाम
मिलेंगे फिर उसी दूध से बनी दही से छाछ बनाकर वह मक्खन और घी भी निकाल सकता है। घी
के दाम तो आजकल बाज़ार में बहुत ऊँचे हैं। उससे उसे बहुत अच्छा पैसा मिलेगा और उस
पैसे से वह कुछ और गायें और भैंसें खरीद लेगा । इस प्रकार वह एक दिन बहुत अमीर बन
जाएगा । यही सब कुछ सोचते-सोचते वह अपनी गायों और भैंसों को ज़्यादा दूध देने की
दवाइयाँ खिलाने लगा । कुछ सप्ताह तक तो गायों और भैंसों ने अच्छा दूध दिया लेकिन
दवाइयाँ ज्यादा खा लेने की वजह से उसकी सारी गायें और भैंसें एक-एक करके बीमार
पड़ने लगीं और उनमें से दो की तो मृत्यु ही हो गई।
अब गंगाराम को बहुत दु:ख हुआ और उसे पछतावा होने लगा कि
उसने अधिक पाने की जगह गँवाने का काम किया है । जितना दूध उसे अपनी भैंसों और
गायों से मिलता था, अब दवाइयाँ खिलाने के बाद भी उतना दूध उसे नहीं मिल रहा है।
गंगाराम को एहसास हो गया कि "लालच बुरी बला है।"
जो उसने किया है, उसे वह सब नहीं करना चाहिए था ।
B. लालच बुरी बला है अथवा लालच बहुत ही बड़ी मुसीबत है (आर्य, कक्षा ८)
B. लालच बुरी बला है अथवा लालच बहुत ही बड़ी मुसीबत है (आर्य, कक्षा ८)
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