मैं
वैली स्कूल में आई. सी. एस. ई में
भी हिंदी पढ़ाती हूँ । इस बोर्ड
के हिंदी पेपर में कहावत के ऊपर एक
निबंध पूछा जाता है । बच्चों
से कई सारी कहावतों पर निबंध लिखाना
मुश्किल है इसलिए हर
छात्र-छात्रा को अलग-अलग
कहावत दी जाती है
जिस पर वे निबंध
लिखते हैं और फिर कक्षा
में सब छात्र-छात्राएँ
अपने लिखे निबंध पढ़ते हैं जिससे सबको कहावतें भी समझ आ
जाएँ और परीक्षा में
उन्हें कोई मुश्किल न हो ।
इन कहावतों पर लिखे निबंधों
को छात्र-छात्रों को सुनाया जा
सकता है या उन्हें
पढ़ने के लिए दिया
जा सकता है जिससे उन्हें
कहावतों का अर्थ अच्छी
तरह से समझ आ
सके । हर कहावत
के आगे वर्ष लिखा गया है , इसका मतलब है कि यह
कहावत बोर्ड में उस वर्ष में
पूछी गई है ।
आशा है कि यह
सामग्री अध्यापकों और अध्यापिकाओं के
साथ-साथ छात्र-छात्राओं के लिए भी
उपयोगी होगी ।
A. वह सिंह की तरह लड़ा अथवा बहादुरों की तरह सामना करना (काव्या)
रोहन एक शहर में अपने
माँ-बाप और छोटी बहन के साथ रहता था। वह एक पाठशाला में पढ़ने जाता था । उसका केवल एक
ही दोस्त था जिसका नाम हरि था। रोहन और हरि कक्षा में चुपचाप रहते थे और ज्यादा किसी
से बात न करते थे । उनकी कक्षा में कुल तीस बच्चे थे । उन तीस बच्चों में से पाँच बच्चे
-राहुल, करण, मोहित, राज और आकाश सब रोहन और हरि को बहुत चिढ़ाते थे
और हमेशा तंग किया करते थे। हरि और रोहन इन पाँचों से बहुत डरते थे।
एक दिन जब रोहन अकेले
घर जा रहा था तो मोहित, राज
और राहुल उसके पीछे-पीछे आए । "ओ रोहन, तुम अकेले जा रहे
हो क्या?"-राज ने कहा । राहुल और मोहित रोहन की घबराहट देखकर
ज़ोर से हँसे। रोहन उन्हें अपने सामने एकाएक देखकर वहाँ से जल्दी से
भागना चाहता था लेकिन
मोहित ने उसका एक हाथ पकड़ लिया और राज ने उसका दूसरा हाथ पकड़ लिया । "क्यों भाग
रहे हो भाई?" राहुल ने पूछा। किसी
तरह उनसे पीछा छुड़ाकर रोहन वहाँ से चला गया।
अगले दिन जब रोहन
पाठशाला गया तो उसके हाथों पर कई छोटी-छोटी चोटें थीं । उसकी एक आँख सूजी हुई थी। हरि
ने यह सब देखकर पूछा-"अरे, रोहन क्या हुआ?" रोहन ने सारी कहानी हरि से कही।
हरि थोड़ी देर तक सोचता रहा फिर कहा-"कल हमें राहुल को पाठ सिखाना चाहिए।"
अगले दिन साइकिल में
जब रोहन और हरि घर जा रहे थे तो फिर से राहुल, राज और मोहित उनके पीछे आए लेकिन इस बार उनके साथ करन और आकाश
भी थे। "तुम फिर से अकेले जा रहे हो क्या? करन ने पूछा ।
"नहीं, मैं अकेला नहीं हूँ।" राहुल ने कहा। अचानक हरि
न जाने कहाँ से आकर उन पर कूद पड़ा और बहादुरी से सबको मारने लगा । देखते ही देखते हरि
के दूसरे दोस्त भी आ गए और वे सब उन सब से लड़ने लगे। यह सब देखकर न जाने कहाँ से रोहन
का हौसला बढ़ा और वह भी उन पाँचों का मुकाबला करने लगा।
अंत में राहुल और
उसके सभी दोस्त किसी तरह से जान बचाकर वहाँ से भाग गए। वे समझ गए थे कि आज हरि जैसे
सिंह के सामने उनकी एक न चलेगी । उस दिन से राहुल रोहन और हरि को जब भी देखता तो फौरन
वहाँ से भाग जाता था । इस घटना के बाद एक और अच्छी बात हुई कि रोहन को हरि के अलावा
और नए दोस्त मिल गए थे जिन्होंने समय पर आकर उसकी मदद की थी और उन पाँचों के प्रति
जो उसमें डर समा गया था, उसको
पूरी तरह से खतम कर दिया था। रोहन और हरि की तरह हमें भी "सिंह की तरह" ही ऐसे लोगों से लड़ना चाहिए और किसी से डरना नहीं
चाहिए।
B.वह सिंह की तरह लड़ा अथवा बहादुरों की तरह सामना करना (मेघा, कक्षा ८)
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