मैं वैली स्कूल में आई. सी. एस. ई में भी हिंदी पढ़ाती हूँ । इस बोर्ड के हिंदी पेपर में कहावत के ऊपर एक निबंध पूछा जाता है । बच्चों से कई सारी कहावतों पर निबंध लिखाना मुश्किल है इसलिए हर छात्र-छात्रा को अलग-अलग कहावत दी जाती है जिस पर वे निबंध लिखते हैं और फिर कक्षा में सब छात्र-छात्राएँ अपने लिखे निबंध पढ़ते हैं जिससे सबको कहावतें भी समझ आ जाएँ और परीक्षा में उन्हें कोई मुश्किल न हो । इन कहावतों पर लिखे निबंधों को छात्र-छात्रों को सुनाया जा सकता है या उन्हें पढ़ने के लिए दिया जा सकता है जिससे उन्हें कहावतों का अर्थ अच्छी तरह से समझ आ सके । हर कहावत के आगे वर्ष लिखा गया है , इसका मतलब है कि यह कहावत बोर्ड में उस वर्ष में पूछी गई है । आशा है कि यह सामग्री अध्यापकों और अध्यापिकाओं के साथ-साथ छात्र-छात्राओं के लिए भी उपयोगी होगी ।
अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गईं खेत (आयुष कुंडु)
मेरा नाम
मयंक है । मैं एक कालेज में पढ़ता हूँ । मेरा दोस्त मेरी कक्षा में है और हम दोनों
हमारे कालेज से बहुत दूर रहते हैं । मेरा दोस्त इमरान एक गरीब परिवार से है और वे
हर दिन घर से कालेज बिना गाड़ी या साइकिल के जाता था ।
जब मैं
स्कूल जाता था तब मेरे पिता उसे अपनी गाड़ी में छोड़ देते थे । एक दिन मैंने एक नयी
साइकिल खरीद ली , वह साइकिल १०,००० रुपए की थी। तो उसी दिन से मैं साइकिल से कालेज
जाता था। एक दिन मेरा दोस्त आता है और पूछता है कि क्या वह मेरी साइकिल चला सकता
है । मैं बहुत डरता था क्योंकि अगर वे मेरी साइकिल को क्षति पहुँचाएगा तो मेरे
पिता बहुत गुस्सा हो जाएंगे और इमरान के पास पैसे नहीं हैं तो मुझे मरम्मत के लिए
पैसे देने पड़ेंगे । इसलिए मैं ने उससे कहा कि वह मेरी साइकिल नहीं चला सकता ।
उस दिन के
बाद दो हफ्ते बीत गए, पर वह बार-बार मुझसे मेरी साइकिल चलाने के लिए पूछता । वह मुझसे कहता कि वह इस जीवन में कभी
भी अपने लिए मंहगी साइकिल नहीं खरीद पाएगा । यह सुनकर मुझे बड़ा दु:ख होता और
बार-बार उसे दु:खी देखकर आखिरकार एक दिन मैंने उसे अपनी साइकिल चलाने के लिए दे दी
। इमरान की खुशी का ठिकाना नहीं था । वह मेरी साइकिल पूरे गाँव में चलाता फिरा
क्योंकि उसे पता था कि उसे ऐसी साइकिल चलाने का फिर कभी मौका नहीं मिलेगा । मैं भी
उसे खुश देखकर बहुत खुश था । मुझे खुशी थी कि मैंने अपने दोस्त की इच्छा पूरी कर
दी ।
थोड़ी देर
के बाद मैंने सुना कि इमरान के साथ दुर्घटना हो गई और वह उसमें घायल हो गया । वह
संकटपूर्ण हाल में था । मैं जल्दी से उसके पास गया और मैंने देखा कि मेरी १०,०००
रुपए वाली साइकिल पूरी तरह से नष्ट हो गई थी । मुझे बहुत गुस्सा आया पर अब पछताए
होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत । मैं तो सिर्फ इमरान के स्वास्थ्य के लिए चिंतित
था । दो दिन के बाद उसने साइकिल की पूरी रकम मेरे हाथ पर रख दी । हम दोनों ने पहले
जैसे ही अपनी दोस्ती जारी रखी और अपने जीवन के अंत तक हम दोस्त बने रहे ।