Monday, March 31, 2014

Story on proverb - Jo garajte hain baraste nahi/ जो गरजते हैं वो बरसते नहीं


मैं वैली स्कूल में आई. सी. एस. ई  में भी हिंदी पढ़ाती हूँ । इस बोर्ड के हिंदी पेपर में कहावत के ऊपर एक निबंध पूछा जाता है । बच्चों से कई सारी  कहावतों पर निबंध लिखाना मुश्किल है इसलिए हर छात्र-छात्रा को अलग-अलग कहावत दी जाती है जिस पर वे निबंध लिखते हैं और फिर कक्षा में सब छात्र-छात्राएँ अपने लिखे निबंध पढ़ते हैं जिससे सबको कहावतें भी समझ आ जाएँ और परीक्षा में उन्हें कोई मुश्किल न हो । इन कहावतों पर लिखे निबंधों को छात्र-छात्रों को सुनाया जा सकता है या उन्हें पढ़ने के लिए दिया जा सकता है जिससे उन्हें कहावतों का अर्थ अच्छी तरह से समझ आ सके । हर कहावत के आगे वर्ष लिखा गया है , इसका मतलब है कि यह कहावत बोर्ड में उस वर्ष में पूछी गई है । आशा है कि यह सामग्री अध्यापकों और अध्यापिकाओं के साथ-साथ छात्र-छात्राओं के लिए भी उपयोगी होगी । 




जो गरजते हैं वो बरसते नहीं  (दिया) 1988

डाँडेली नामक गाँव में एक हज़ार लोग रहते थे । वे खुशी से अपना जीवन जी रहे थे, जब एक डाकू ने उनके गाँव में आकर सभी को हैरान कर दिया । अब लोग जीने से भयभीत हो गए और उस डर से जी रहे थे । एक महीने तक यह डाकू गाँव के लोगों को डराता रहा । गाँव के प्रधान भी उनसे डरे हुए थे । इन दिनों में सड़क पर सिर्फ एक-दो लोग घूमते-फिरते थे और शाम पाँच बजे के बाद सब लोग अपने घर में ताला लगाकर बैठ जाते थे । इस समय डाकू सड़क पर अपने दो-तीन दोस्तों के साथ घूमता था । जब डाकू को भूख लगती थी, वह पास के घर में जाकर ज़ोर से कहता,"दरवाजा खोलो ! मुझे खाना दो...... नहीं तो मैं तुम्हारे बच्चों को जंगल में फेंक दूँगा ।" फिर धीरे से दरवाजा खुलता और घर की माँ उन्हें सब खाना दे देती । अक्सर डाकू खाना खाकर वहाँ दो-तीन घंटों के लिए सो जाता । इसी तरह वह इन गरीब लोगों को निरन्तर डराता रहता ।
एक दिन डाकू बहुत-ही क्रोधित था क्योंकि जब वह शिकार पर गया था, उन्हें हिरण नहीं मिला और जब उन्हें कुछ चाहिए था वे उसे लेकर ही चुप रहते हैं । डाकू सड़क पर घूम रहा था जहाँ बच्चे क्रिकेट खेल रहे थे । बच्चे अपने खेल में मज़े ले रहे थे और इतने डूबे हुए थे कि उन्होंने डाकू की आवाज़ नहीं सुनी । जब डाकू ने उनके पास आकर देखा तो वे डर गए । डाकू ने उन्हें डरे हुए देखा और हँसने लगा । इसी समय उनके मन में एक उपाय आया । उन्होंने तय किया कि वे बच्चों को लेकर जंगल में जाएंगे और उन बच्चों के माता-पिता से कहेंगे कि जब तक वे उन्हें एक हिरण लाकर नहीं देंगे तब तक बच्चे उसके साथ खतरनाक जंगल में रहेंगे ।
डाकू ने सब बच्चों को घेरा और जंगल की ओर चलने लगा । इसी समय बच्चे काँपते हुए चिल्लाने लगे । सब घरों से लोग निकलने लगे । उन बच्चों के माता-पिता भी बाहर खड़े थे, जब डाकू ने कहा," मैं इन बच्चों को जंगल में रखने वाला हूँ, तब तक तुम लोग मेरे लिए एक हिरण लाओ । अगर मेरे लिए हिरण नहीं लाए तो मैं इन मासूम चेहरों को पेड़ पर बाधूँगा ।"
यह कहकर वह जंगल की ओर चलने लगा । उन बच्चों के माता-पिता चिल्लाने लगे परन्तु डाकू ने किसी की बात नहीं सुनी । इस हलचल में एक आदमी था कि यह डाकू बस बोलता है वह कुछ करता नहीं । जब हलचल थोड़ी कम हो गई , उसने उन माता-पिता से जाकर कहा कि वे डाकू को जानते हैं और उनके अनुसार डाकू सिर्फ भौंकता है, वह काटेगा नहीं । यह सुनकर लोग क्रोधित होकर पूछने लगे कि यह आदमी तो अभी-अभी इस गाँव में आया है, उसे कैसे पता कि यह डाकू क्या करेगा? फिर उस आदमी ने उन्हें पूछा कि क्या पहले इस डाकू गालियाँ देने के अलावा कुछ खतरनाक कदम उटाया है? यह प्रश्न सुनकर सब लोग चुप हो गए । वे सोचने लगे और उन्होंने कहा कि उसने आज तक सिर्फ गालियाँ दीं पर कुछ नहीं किया है ।
गाँव के सब लोग और यह आदमी जंगल गए और बच्चों को वापिस लाए । उन्होंने डाकू से कहा कि एक शर्त पर वे उन्हें  गाँव में रहने देंगे । उन्हें दादागिरी बन्द करनी पड़ेगी । इससे सब खुशी में रह सकते हैं । अंत में उस आदमी ने डाकू से कहा कि जो गरजते हैं, वे बरसते नहीं ।


जो गरजते हैं ,बरसते नहीं हैं (नवनीत)
उसका नाम राहुल था , वह मेरा सबसे प्यारा दोस्त था । राहुल खुशी से भरपूर लड़का था । उसको खेलना-कूदना बहुत पसन्द था । पर एक दिन अजय आया । अजय एक मोटा-सा लड़का था जो किसी के साथ दोस्ती न रखता था । वह सबको तंग करता था । वह छोटे-छोटे बच्चों से उनके खाने के पैसे छीन लेता था और उन पर हँसता था । कोई उसको कुछ नहीं कहता था । लोग समझते थे कि वह बहुत भला था और वह हमें चोट और दर्द न पहुँचाएगा ।
अजय हमारे स्कूल में नया था पर फिर भी वह सोचता था कि सब लोग उसकी ही बात सुनेंगे । अजय के बारे में एक बात यह भी थी कि अध्यापिका के सामने वह कुछ नुकसान नहीं पहुँचाता था । उसके माता-पिता भी सोचते थे कि वह अच्छा लड़का है और वह बुरा काम नहीं करेगा । वह पढ़ने में भी अच्छा था । पर गल्त बात यह थी कि वह किसी भी बच्चे को पकड़कर कहता था कि "तुम मेरा काम करो, नहीं तो मैं तुम को ज़ोर से मारुँगा ।" मुझे यह बात पता थी क्योंकि अजय ने मेर साथ भी ऐसे किया था जो मुझे बिल्कुल पसन्द नहीं आया था । कई बार बच्चों ने उसको कहा कि वे अध्यापिका को कह देंगे कि वह ऐसे कर रहा है । पर वह इस पर कहता था कि "अगर तुम अध्यापिका को कहोगे तो तुम्हें और भी मारूँगा ।" यह सुनकर बच्चे चुप हो जाते थे ।
मैं यह सब किसी बड़े आदमी से कहना चाहता था । पर मुझे भी डर था कि वह मेरे साथ कुछ करेगा इसलिए मैं चुप हो गया । कुछ महीनों के बाद एक बात हुई जिससे मुझ को बहुत गुस्सा आया । एक दिन जब मैं फुटबाल खेल रहा था, मैंने देखा कि अजय राहुल को गुस्से से कुछ कह रहा था । मुझे पता नहीं था कि अजय क्यों गुस्सा कर रहा था? पर मुझे एक बात पता थी कि राहुल किसी के साथ झगड़ा नहीं करता था । वह सोचता था कि झगड़ा करने से कुछ नहीं मिलता है । तो क्यों झगड़ा करें ? खेलने के बाद मैं राहुल को ढूँढने लगा और वह स्कूल के गेट के पास एक कोने में बैठा था और छोटे-छोटे पत्थरों से खेल रहा था । मैं उसके पास जाकर बैठ गया । मैंने उससे पूछा , "अजय, तुम से क्या कह रहा था ?" राहुल ने कहा,"कुछ खास नहीं । अजय ने मुझसे कहा है कि मुझे उसका गृहकार्य करना पड़ेगा । मैंने उसे कह दिया है कि मैं नहीं करुँगा । इस बात पर वह मुझ पर गुस्सा कर रहा था ।" यह सुनकर मैं खुश हो गया पर दु:खी भी । मैं खुश था क्योंकि राहुल पहला लड़का था जिसने अजय से साफ-साफ शब्दों में गृहकार्य करने से मना कर दिया था । पर मैं दु:खी था क्योंकि मुझे डर था कि अजय, राहुल को दर्द पहुँचाएगा ।
अगले दिन मैंने राहुल से जाकर कहा कि हम दोनों मिल कर अजय के माता-पिता को दिखा सकते हैं कि वह क्या-क्या कर रहा है ? राहुल ने पूछा,"यह हम कैसे कर सकते हैं ?" मैंने कहा," हम एक कैमरा लेकर आएंगे और अजय के बुरे व गल्त कामों की तस्वीरें ले सकते हैं । अगर कोई अध्यापिका पूछेगी कि हम कैमरे के साथ क्या कर रहे हैं ? तो हम कहेंगे कि हमें कक्षा की तस्वीरें लेनी हैं ।"

अगले दिन राहुल एक कैमरा लेकर आया । भोजन के बाद हमने कैमरा निकाला । जल्दी से एक अध्यापिका को यह सब दिखाया । अध्यापिका ने कैमरे के बारे में पूछा और हमने कहा कि हम कक्षा की तस्वीरें ले रहे थे । यह सब हमने देखा और हमने तस्वीरें लीं । हमने झूठ कहा पर यह झूठ अच्छे काम के लिए था । सब कुछ सुनने के बाद अध्यापिका ने अगले दिन अजय के माता-पिता को स्कूल बुलाया । उन्हें वे सब तस्वीरें दिखाईं और सब बता दिया । जब यह हुआ तो अजय रोने लगा और कहने लगा कि उसने किसी को मारा नहीं है और न ही वो किसी को मारता है । यह बात सच थी कि वह केवल धमकी देता था । उसने आज तक किसी को मारा नहीं था । तब अध्यापिका ने कहा कि तुम गरजते क्यों हो जब बरसना नहीं है । सच ही है जो गरजते हैं ,वे बरसते नहीं हैं । 

No comments:

Post a Comment