Sunday, March 30, 2014

Paragraphs on different topics in Hindi- Written by Middle school' students ( मिडिल स्कूल के छात्र-छात्राओं के द्वारा लिखे गए अवतरण )

मैं वैली स्कूल  में पढ़ाती हूँ । यहाँ पर मिडिल स्कूल और हाई स्कूल की कक्षाएँ लेती हूँ । मिडिल स्कूल के छात्र-छात्राओं ने कई विषयों पर अवतरण लिखे जो निम्नलिखित हैं । इन अवतरणों को पाठ्य सामग्री की तरह उपयोग कर सकते हैं । या, फिर प्रश्नों की रचना करके अपठित गद्यांश की तरह भी उपयोग कर सकते हैं । या, इन अवतरणों को पढ़कर बच्चों को चित्र के द्वारा इन्हें समझाने को कहा जा सकता है । आशा है कि यह विषय सामग्री उपयोगी सिद्ध होगी । 


              किसान
         (अचिन्तयाअम्बर माध्यमिक मिश्रित समूह)
किसान गाँव में रहता है । किसान का घर छोटा होता है और खेत के पास ही होता है । किसान को पूरे वर्ष समस्याओं का सामना करना पड़ता है । वह पूरे वर्ष हर दिन सुबह से शाम तक बहुत प्रयत्न करता है ।
वह तरह-तरह के कठिन काम आसानी और दृढ़ता से करता है । पहले वह गर्मी के मौसम में ज़मीन खोदता है और बीज डालता है । इसके साथ-साथ वह अपने बैलों की सहायता से हल चलाता है और अनाज के बीज बोता है । फिर वह बारिश के मौसम में पौधे उगने के बाद कीटनाशक दवाई डालता है । यह दवाई सभी कीड़ों को मारकर पौधों को स्वस्थ रखती है । अच्छी बारिश आने से सभी किसान बहुत खुश होते हैं ।
अगर बारिश बहुत हो या धरती सूखी हो तो किसान को बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ता है । बहुत बारिश होने से फसल नष्ट हो जाती है । बारिश न होने से सूखे में भी फसल सड़ जाती है और किसान को भूखा रहना पड़ता है ।
सरदी के मौसम में रात में अपने खेत में एक मचान पर बैठकर किसान जानवरों को भगाता है और ठंड का भी सामना करता है । बसंत की ऋतु में वह फसल की कटाई करता है और त्योहार भी मनाता है ।
हमारी भारत सरकार को किसानों को भरपूर सहायता देनी चाहिए क्योंकि किसान हमारे देश की सेवा करता है । हम सबको खुशी होनी चाहिए क्योंकि किसान हमारा अन्नदाता है जैसे कि लाल बहादुर शास्त्री जो हमारे देश के प्रधानमंत्री थे , ने कहा था- "जय जवानजय किसान !"
              दो चिड़े
           (काश्वीअन्तरिक्ष माध्यमिक मिश्रित समूह)
वन में एक बड़ा-सा पेड़ था । उस पेड़ पर एक घोंसला था । दो चिड़ों उसी पेड़ पर बने घोंसले में रहना चाहते थे और वे इसी बात पर लड़ रहे थे कि घोंसला किसका है । तभी एक और चिड़िया पेड़ पर बैठी हुई उनकी लड़ाई देख रही थी और सुन रही थी । उसने उनकी लड़ाई सुनकर कहा," लड़ो नहीं , किसी और से फैसला करा लो । जो वह कहता हैदोनों मान लो ।" चिड़ों को यह उपाय पसन्द आया । वे किसी से अपनी मुसीबत का हल कराने के लिए उसकी खोज करने लगे ।
खोज करते-करते उन्हें एक खरगोश मिला और उसने पूछा कि क्या वह किसी को जानता है जो उनकी मुसीबत का हल कर सकता है । खरगोश ने कहा कि उसे एक बुद्धिमान बिलाव पता है । बिलाव वन के सबसे पेड़ के पास रहता है।चिड़े खरगोश को धन्यवाद कहकर उसी पेड़ की ओर उड़ चले ।
पेड़ के पास पहुँचते ही चिड़ों को बिलाव नज़र आया । वह छाया में बैठा हुआ आंखे बंद करके माला जप रहा था। पेड़ पर बैठकर उन चिड़ों ने बिलाव को पूछा कि क्या वह उनकी सहायता करेगा । उसने थोड़ी देर तक सोचा फिर कहा," हाँमैं तुम दोनों की मदद कर सकता हूँ , पर आपको थोड़ा मेरे पास आना पड़ेगा क्योंकि मैं बूढ़ा हूँ और दूर से मैं अच्छी तरह से नहीं सुन सकता हूँ ।" दोनों चिड़े पेड़ से उतरकर नीचे आकर बिलाव के पास बैठे । झट से बिलाव ने दोनों चिड़ों को अपने पंजे में दबोचा और खा लिया । इस कहानी से हम सीखते हैं कि बाहरी दिखावे से कोई भला नहीं बन जाता ।
           सूर्य और हवा
      (ईशाअन्तरिक्ष माध्यमिक मिश्रित समूह)
एक दिन सूर्य और हवा के बीच में झगड़ा हुआ । दिन के दो बजे थे । सूर्य ज़ोरों से चमक रहा थाबहुत तेज़ धूप थी । लोग धूप से तंग आ गए थे और काम करते-करते थक गए थे। पर धूप तेज़ होती गई और गर्मी भी बढ़ती गई । तभी अचानक हवा भी चलने लगी और लोग खुश हो गए । सूर्य को हवा के इस काम से गुस्सा आया और उसने पूछा," तुम इधर क्यों आ गईं?" हवा ने कहा," मैं तो अपना काम कर रही हूँ और देखो तो लोग कितना खुश हो रहे हैं ।" सूर्य ने कहा, " तुम कहना क्या चाहती होतुम मुझसे ज़्यादा बलवान नहीं हो।हवा ने सूर्य की हंसी उड़ाते हुए कहा ," आप खुद ही देख रहे हैं कि मेरे कारण ही लोग कितने खुश हो रहे हैं !" सूर्य ने कहा," अगर मैं न चमकूँ तो संसार में अंधेरा हो जाएगा । मेरी धूप और रोशनी की ज़रूरत सभी को है ।" हवा ने घमंड से कहा," तुम्हारी गर्मी से लोग तंग आ जाते हैंथक जाते हैं पर मेरे कारण वे चैन की सांस लेते हैं क्योंकि मैं उन्हें ठंडक देती हूँ।"
तभी एक किसान आया और वह एक पेड़ के नीचे बैठकर आराम करने लगा । हवा ने कहा," देखो मेरा कमाल! " हवा इतनी ज़ोर से बही कि किसान खुश हो गया और आराम से ठंडी हवा के कारण सो गया । सूर्य ज़ोर से हंसा और बोला," अब मैं तुम्हें जवाब देता हूँ । मेरी धूप से इस किसान का हाल देखो ।" सूरज ज़ोर से चमका और गर्मी बढ़ गई । किसान को ज़ोर से गर्मी लगने लगी। तब तंग आकर किसान ने अपना कुर्ता निकाल दिया । सूरज हँसते हुए बोला," देखी मेरी ताकत! मेरे बल के कारण ही किसान को अपना कुर्ता निकालना पड़ा । मैं सब कुछ कर सकता हूँ । मैं बहुत बलवान हूँ । आप कुछ भी नहीं कर सकतीं ।" यह कहकर सूरज हँसने लगा और गाने लगा । इधर किसान ने अपना कुर्ता लिया और अपने मुँह को उससे ढ़ककर सो गया । हवा ने कुछ नहीं कहा , केवल सूर्य को देखा । वह मन ही मन सोच रही थी कि सूरज उससे बलवान नहीं है । पानीसूरजहवा और पृथ्वी सब समान हैं । किसान अपना पसीना पोंछ रहा था । हवा सूरज को देखकर बोली," सूरज दादाहम सब समान हैं ।" सूरज ने कहा," हाँ बहन हवामाफ करनाआप ठीक कहती हैं ।" तब हवा बहने लगी और दोनों मुसकराए ।
         राजकुमारी का विवाह
       (धनंजयअन्तरिक्ष माध्यमिक मिश्रित समूह)
एक महल में एक राजकुमारी रहती थी । वह बहुत खूबसूरत थी । राजकुमारी की उम्र बढ़ती जा रही थी इसलिए राजा ने उसे विवाह करने के लिए मज़बूर किया । राजकुमारी ने विवाह के लिए हाँ कहा पर एक शर्त रखी कि वह उसी से विवाह करेगी जो उसे दौड़ में हरा देगा ।
अनेक लोग दौड़ में उसे हराना चाहते थे परन्तु राजकुमारी अपने पीछे सोने के सिक्के बिखेर देती थी और लोग उन्हें उठाने में लग जाते थे और दौड़ के बारे में भूल जाते थे । ऐसे न जाने कितनी बार हुआ और कई महीने बीत गए । हर बार दौड़ में ऐसे ही होता था और राजकुमारी का विवाह नहीं हो रहा था । एक दिन एक संयमी व्यक्ति आयाउसने सोचा कि दौड़ से पहले वह राजकुमारी का दिल जीत लेगा और पता करेगा कि असली बात क्या है ? उसे राजकुमारी से बातें करते वक्त पता चल गया कि राजकुमारी क्या चाल खेलकर सबको दौड़ में हराती थी । इस बार दौड़ के समय अन्य प्रतियोगी तो सोने के सिक्के इकट्ठे करने रुक गए पर यह व्यक्ति राजकुमारी के साथ दौड़ता रहा और अंत में दौड़ जीत गया और राजकुमारी का दिल भी । तब राजकुमारी ने उसके गले में जयमाला डाल दी ।
         राजा के चार पुत्र
         (राहेलअन्तरिक्ष माध्यमिक मिश्रित समूह)
एक राजा था । उसके चार पुत्र थे । वे पढ़ने में कोई रुचि नहीं लेते थे । एक दिन राजा ने मंत्रियों से सलाह ली । मंत्रियों ने कहा," बच्चों के राजा बनने का एक दिन तो ज़रूर आएगा । इसलिए बच्चों को राजा बनने के लिए ज़रूर कुछ सीखना चाहिए । तो उन्हें बच्चों को सिखाना चाहिए ।" तब राजा ने मंत्रियों से कहा कि बच्चों को राजनीति का विद्वान बनाने के लिए अस्सी वर्षीय विद्वान को बुलाना पड़ेगा । मंत्रियों ने बच्चों को शिक्षित करने को मान गया ।
पहले गुरु ने बच्चों को एक भाषण दिया । भाषण राजा बनने के बारे में था । बच्चों ने गुरु की सेवा की और गुरु ने उन्हें कथाएँ सुना-सुनाकर राजनीति का विद्वान बना दिया । एक महीने के बाद गुरु को तेज़ बुखार आया । गुरु बहुत बीमार थी । उसने बच्चों को घर भेज दिया । बच्चे अभी भी कथाएँ पढ़ते थे । उन्हें अपने गुरु की बहुत चिंता हुई । बच्चे ने सोचा," शायद हम गुरु जी के घर जा सकते हैं ।"
यह सोचकर बच्चे गुरु जी के घर गए । पर जब वे पहुँच गए तो गुरु जी घर में नहीं थे । घर खाली था । सारा सामान कहीं और चला गया था । बच्चे दु:खी थे । वे सोच रहे थे कि गुरु को क्या हुआ ? क्या गुरु जी की मृत्यु हो गईऐसे ही सवाल बच्चों के मन में घूम रहे थे । बच्चे घर लौट गए ।
राजा ने बच्चों से कहा कि गुरु जी की मृत्यु हो गई । दु:खी मत हो । अगर तुम्हें गुरु जी को खुश करना है तो हिम्मत मत हारो । पढ़ोराजनीति बनो । जब मेरी मृत्यु हो जाएगी तो इस राजमहल को संभालना होगा ।
इस बात को सुनकर बच्चों ने पढ़े और राजनीति बने ।
         पृथ्वी की स्थिति........
      (शनाया कपूरअम्बरा माध्यमिक मिश्रित समूह)
सूर्य मंडल में पृथ्वी एक नक्षत्र है । पृथ्वी की सतह पर पानी देख सकते हैं और सूर्य मंडल में ऐसा कोई नक्षत्र नहीं है जहाँ कोई भी जीव-जन्तु हो इसलिए पृथ्वी के जन्म का सिर्फ अनुमान ही कर सकते हैं । नक्षत्र वैज्ञानिकों का अनुमान है कि जब नक्षत्र की उम्र बढ़ती है तो वे धीरे-धीरे ठंडे हो जाते हैं और उनकी सतह कठोर बनती है । कुछ नक्षत्र इतने ठंडे बन जाते हैं कि उनमें से पानी निकलता हैफिर वो ही पानी समुद्रनदीझीलें और धाराओं का रूप बनता है । यह बात सिर्फ कुछ नक्षत्रों के लिए सही हो सकती है ।
हमारी पृथ्वी के साथ भी यही हुआ और ऐसे ही जीवन की शुरुआत पृथ्वी पर हुई । आज पृथ्वी कितनी अलग है! आज हम स्वच्छ पानी के लिए तरसते हैं । हमारी सड़कें प्रदूषित हो गई हैं । हमारे जल निकास के साधन नष्ट हो गए हैं क्योंकि उनमें इतना सारा कचरा भर गया है । ढेर सारे पेड़ एक ही साथ गायब हो गए हैं और कुछ ही पेड़ बचे हैं ।
मेरे अनुसार आज हमारी सबसे बड़ी ज़रूरत है कि हम अपनी पृथ्वी को बचाएं । इसके लिए हमें इन बातों का ध्यान रखना होगा- हमें कचरे को जलाना नहीं चाहिएज़्यादा पैट्रोल का इस्तेमाल नहीम करना चाहिएघर में पानी बेकार नहीं करें बल्कि संभाल कर प्रयोग करेंकचरे को तीन अलग-अलग डिब्बों में फेंके ताकि उनका उपयोग किया जा सके । यह सब करने के बाद हमें अपने दोस्तों को भी यही संदेश देना चाहिए ।
कितनी अज़ीब बात है ! एक तरफ हम मंगल ग्रह पर जीवन की तलाश में हैं और दूसरी तरफ हम यहाँ पृथ्वी पर अपने ही ग्रह को बर्बाद करने पर तुले हैं । अंत में यह ही सवाल उठता है कि हम किस दिशा की ओर दौड़ रहे हैं ? रोबोट और नए खोजों की ओर या हमारी पृथ्वी की रक्षा की ओर- यह एक सोचने वाली बात है भई!
        गांधी जी के तीन बंदर  
        (आर्याअम्बर माध्यमिक मिश्रित समूह)
मोहनदास कर्मचन्द गांधी जी ने भारत की स्वतंत्रता पाने के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण कार्य किया । गांधी जी ने अहिंसा के रास्ते पर चलकर ही भारत को स्वतंत्रता दिलाई । उस समय भारत की जनता को अहिंसा की शिक्षा देने के लिए बहुत तरीके अपनाए गये । गांधी जी अहिंसा को राजनैतिक क्षेत्र में इस्तेमाल करने वाले पहले व्यक्ति थे । अहिंसा की शिक्षा सभी धर्मों में दी गई है । जनता को सरल भाषा में समझाने के लिए गांधी जी ने तीन बन्दरों की कहानी का प्रयोग किया । इन बंदरों में से एक बंदर आँखे बंद किए हुए है जो बताता है कि बुरा मत देखो । दूसरा बंदर कान बंद किए हुए है जो बताता है कि बुरा मत सुनो । तीसरा बंदर मुँह बंद किए हुए है जो बताता है कि बुरा मत बोलो । बुरा न देखनेन सुनने और न बोलने की शिक्षा से गांधी जी को जनता में अच्छे व्यवहार ग्राह्य करने की आशा थी ।
तीन बंदरों की लोककथा का सूत्र जापान के एक सत्रहवीं सदी के मंदिर से है । मंदिर के दरवाजे के ऊपर तीन बंदरों की ये नक्काशी बनी है । कहते हैं कि यह कथा आठवीं सदी में चीन से जापान बौद्ध धर्म से पहुँची । जापान में इन तीन बन्दरों के नाम भी हैं । मिज़ारू- जो बुरा नहीं देखताकिकाज़ारू- जो बुरा नहीं सुनता और इवाज़ारू- जो बुरा नहीं बोलता । कुछ लोग कहते हैं कि एक और बन्दर है- शिज़ारू- जो बुरा नहीं करता । हम इसे हाथ पकड़ते हुए देख सकते हैं ।
गांधी जी ने ही तीन बन्दरों की कहानी दुनिया को बताई । उन्होंने इस कहानी से दुनिया को बहुत कुछ सिखाया । गांधी जी से बहुत लोग बहुत कुछ सीखे और उनके तरीके भी लोगों ने इस्तेमाल किए जैसे कि नैल्सन मंडेला उनके दिखाए रास्ते पर चले । हमें भी उनकी सीखों को अपने जीवन में इस्तेमाल करना होगा ताकि हम अपने देश को तरक्की करते हुए देख पाएं ।
           यात्रा का अनुभव 
            (यशअम्बरा समूह)
हम बेंगलूरु से भोपाल जाने वाले थे । मैं बहुत उत्साहित था क्योंकि हम अपनी कार से बेंगलूरु से भोपाल तक २६०० किलोमीटर का सफर सड़क मार्ग से करने वाले थे । हमारा सफर सुबह पाँच बजे शुरु हुआ । जाते समय हरे-भरे खेत देखने से बहुत मज़ा आ रहा था । पूरे रास्ते में हमें पानी से भरी बड़ी-बड़ी नदियाँ देखने को मिलीं । एक नदी के पास जब हम रुके तो हम एक फोटो खींचने लगेएक बन्दर यह सब देख रहा था । हमें बंदर को ऐसे देखते देख बहुत मज़ा आया । हम एक झील पर भी रुके । उधर हमने बकरियाँ देखीं और फोटो भी खींचे । वहाँ बकरियों के साथ एक लड़का भी था । एक आदमी वहाँ मछलियाँ पकड़ रहा था । पहले दिन की रात को हम होटल में भी रुके । यह एक पाँच सितारा होटल था । मुझे बहुत मज़ा आया । मुझे एक बात अच्छी नहीं लगी कि कई लोग पर्यावरण को बरबाद कर रहे थे ।

    जब मैंने अपने लिए खाना बनाया
        (आदित्य भंसालीअन्तरिक्ष समूह)
मुझे खाना बनाना और खाना खाना दोनों ही बहुत पसंद हैं । मुझे टमाटर की सब्ज़ी भी बहुत पसंद है । जब मैं नौ साल का था तब मैंने पहली बार टमाटर की सब्जी अपनी माँ से पूछ कर बनाई थी । सबको मेरे हाथों से बनाई हुई सब्ज़ी बहुत पसन्द आई । मुझे सब्ज़ी बनाते समय टमाटर काटना और मिर्च-मसालों को डालना बहुत अच्छा लग रहा था । अब भी मैं अपनी माँ को कभी-कभी रसोई के कार्य में मदद करता हूँ । मैंने ऐसे टमाटर की सब्ज़ी बनाई-
सामग्री- २ पके हुए लाल टमाटरतेलजीराराईहल्दीलाल मिर्चनमक और शक्कर स्वादानुसार ।
विधि- पहले टमाटर को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें । पैन गर्म करें और उसमें २ छोटे चम्मच तेल डालें । तेल गर्म होने पर जीरा और राई डालें । जब वह लाल हो जाए तो कटे टमाटर डाल दें । साथ में नमकहल्दी और लाल मिर्च डाल दें । २-३ चम्मच पानी डालकर पका लें । जब सब्ज़ी से तेल छूटने लगे और टमाटर गल जाएं तो शक्कर डाल दें और हरे धनिए को काटकर सजा दें । फिर गर्म-गर्म रोटी के साथ परोसें ।
            चिड़ियाघर
           (रिया,अम्बरा समूह)
मैं चिड़ियाघर पाँच अक्टूबर दो हज़ार तेरह को गई थी । अपने माता-पिता और भाई के साथ गई थी । हम सब सुबह गए थे ।
हमने वहाँ बहुत सारे जानवर देखे थे जैसे एक लंबा ज़िराफ खाना खाते हुए देखा । हमने डरावने शेर और बाघ भी देखे । हमने तेज़ चलने वाले चीते और दो बड़े हाथी भी देखे । एक साँप और एक अज़गर भी देखा था । एक नटखट लंगूर ने मेरा अमरूद ले लिया । बन्दर का एक बच्चा अपनी माँ के ऊपर बैठा हुआ था । एक लोमड़ी भी वहाँ बैठी हुई थी ।उसके बाद हम सब पक्षी देखने गए थे । हमने एक तोते को बोलते हुए देखा । कुछ कबूतर बतख के पास उड़ रहे थे । एक मोर मोरनी के पास नाच रहा था ।
मुझे चिड़ियाघर कुछ खास अच्छा नहीं लगा क्योंकि सब जानवर छोटे-छोटे पिंजरों में बंद पड़े हुए थे और कुछ नहीं कर रहे थे । मुझे जानवरों के लिए बुरा लग रहा था । हमने जानवर और पक्षियों को देखने के बाद कुछ खाया और घर लौट गए । हम घर पाँच बजे शाम को पहुँचे । मैं चिड़ियाघर जाना नहीं पसन्द करूँगी क्योंकि मैं जानवरों को ऐसे हाल में नहीं देख सकती ।
       जब मैं घर में अकेली थी
                   (ईशा सीअम्बरा समूह)
एक दिन मेरे माता-पिता और मेरी बहन डॉक्टर के पास गए और मैं मेरे दादा और दादी के पास घर पर ही रही । फिर थोड़ी देर बाद मेरी दादी अपनी सहेली के घर चली गईं । मैं अपने दादा के साथ टी.वी देखने लगी । थोड़ी देर बाद मेरे दादा ने पूछा," क्या तुम मेरे साथ पड़ोसी के घर आओगी?" मैंने अपने दादा जी को मना कर दिया क्योंकि मेरे सिर में दर्द हो रहा था । तब दादा जी ने पूछा," क्या मैं अकेली घर में रह सकूँगी?" मैंने कहा," क्यों नहीं ?" वे मुझे घर में अकेली छोड़कर चले गए ।
थोड़ी देर बाद मैंने एक आवाज़ सुनी और अचानक मुझे बहुत ही डर लगा । मैंने अपने कुत्ते शीना को बुलाया और कमरे में जाकर उसके साथ बिस्तर के नीचे छिप गई । वहाँ पर छुपते हुए मुझे लगा कि बहुत समय बीत गया है । मैं सोचने लगी कि मेरे दादा-दादी अब तक क्यों नहीं आए । उसी वक्त किसी ने दरवाजा खोला और मुझे बहुत डर लगा । कुछ पल बाद मैंने अपने दादा जी की आवाज़ सुनी । वे मुझे बुला रहे थे तो मैं जल्दी से बिस्तर के नीचे से निकली और भागकर उनके गले लग गई । वे समझ गए कि मैं अकेले में डर गई थी ।
            मेरी पाठशाला
           (निवेदिताअम्बरा समूह)
मैं एक पाठशाला हूँ । मेरा नाम वैली स्कूल है । मेरी ज़मीन बहुत बड़ी है । मैं सौ एकड़ बड़ी हूँ । मैं ३६ साल की हूँ । मैं कर्नाटक के बेंगलूरू शहर में स्थित हूँ ।
मैं एक जंगल से नज़दीक हूँ । इसलिए मेरे यहाँ कई बार हाथी और बाघ आए हैं । तरह-तरह के पक्षी और तितलियाँ यहाँ दिखाई देते हैं । मेरे यहाँ बहुत सारे बंदर और कुत्ते भी आते हैं । बच्चों को बंदरों से बहुत डर लगता है । पर बच्चों को कुत्तों के साथ लगाव है । मेरे यहाँ बच्चे पहली कक्षा से बारहवीं कक्षा तक पढ़ते हैं ।
मेरे यहाँ बहुत सारे क्लास रूममैदानएक स्टडी सेंटरखाने के लिए विशाल हॉल , आर्ट विलेज इत्यादि है । आर्ट विलेज में बच्चे नाचनागानाकलरीपट्टूपॉटरी आदि सीखते हैं । आर्ट विलेज बहुत सुंदर और बड़ा है । मेरे जन्मदिन और कल्चरल प्रोग्राम पर बच्चे और अध्यापिकाएँ नाचते-गाते हैं । मेले पर सब बहुत सारी चीज़ें बेचते हैं जैसे कि- कैलेंडरखेलने की चीज़ेंमटके इत्यादि ।
मेरी इच्छा है कि बच्चे पढ़े-लिखें और खूब सीखें । मेरे वातावरण का सम्मान भी करें । 
          पालतू पशु एवं पक्षी
                      (रूबेनअम्बरा समूह)
प्रत्येक देश में पालतू जानवर पाये जाते हैं । हमारे देश में भी कई घरेलू पशुओं को पालते हैं । घरेलू जानवर बहुत तरह के होते हैं । हर व्यक्ति अपनी रुचि के अनुसार पालतू जानवर चुनता है । पालतू जानवर न केवल आनन्द देते हैं बल्कि वह कुछ मामलों में बहुत उपयोगी भी हैं । पंछी जैसे तोताकबूतर एवं मोर इत्यादि घरेलू पक्षियों की गिनती में आते हैं । बिल्लीकुत्तेघोड़ेगधे भी पाले जाते हैं । इसके अतिरिक्त गायभैंसेंखरगोशहिरन को भी घर में पालतू बनाकर रखा जाता है । किन्तु प्रत्येक परिवार को पालतू पशु के विषय में अपनी राय एवं रुचि होती है ।
यूरोपीय देशों में एवं भारत में कुत्ते सबसे आम पालतू पशु हैं । कुत्ते बहुत वफादार होते हैं इसलिए अधिकतर लोग इन्हें रखना पसंद करते हैं । कुत्ते रात के समय हमारी जान-माल की रक्षा करते हैं एवं चोरों को डराकर भगा देते हैं । वह मानव के साथ बहुत अच्छी तरह से कई खेल भी खेलते हैं । लोग बिल्लियाँ भी पालते हैं । बिल्लियाँ न केवल चूहों को मारती हैं बल्कि मनोरंजन भी करती हैं ।
मोर भारत का राष्ट्रीय पक्षी है । भारत के कुछ राज्यों में मोर आमतौर पर देखे जा सकते हैं । राजस्थान में अधिकतर परिवारों द्वारा मोर को पालतू बनाकर रखा जाता है । पक्षियों में तोता सबसे अधिक प्रिय पक्षी है । इसे इन्सान की तरह बोलने का प्रशिक्षण दिया जा सकता है ।
गाय एवं भैंसें राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण हईं । धार्मिक आधार पर भी भारत में गाय की पूजा की जाती है क्योंकि इसे "माता" समझा जाता है इसलिए हिन्दू इसे "गौ माता" कहते हैं । गाय का दूध बहुत उपयोगी होता है । इसके गोबर का प्रयोग भी ईंधन एवं खाद के लिए किया जाता है । भारत में घोड़े भी बहुत पाए जाते हैं । चूँकि वे बहुत तेज़ दौड़ते हैं इसलिए इनका प्रयोग सवारी एवं यातायात के लिए किया जाता है । प्राचीन काल में लड़ाइयों में घोड़ों का प्रयोग किया जाता था क्योंकि उन दिनों रेलगाड़ियाँ एवं हवाईजहाज नहीं होते थे। कुछ लोग रेस लगाने वाले घोड़े भी पालते हैं । गाँवों में धनी लोग एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए घोड़ों का प्रयोग करते हैं । खच्चरों एवं गधे भी पाले जाते हैं । उन्हें बोझ उठाने के लिए प्रयोग करते हैं । कुछ लोगों द्वारा बंदरों को भी घर में रखा जाता है । इनकी हरकतें एवं नकल करने की आदत लोगों को रोमांचित करती है।
हम घरेलू पालतू जानवरों एवं पक्षियों से बहुत कुछ सीख सकते हैं । वह बहुत-सी खुशियाँ देते हैं और बहुत-से लोगों के लिए यह समय बिताने का एक साधन है । पर हमें याद रखना चाहिए कि उनके पालन-पोषण के लिए पूरी निष्ठा की आवश्यकता है ।
                तोता
            (पूज्याअंतरिक्षा समूह)
तोता एक पक्षी है । वह जंगल में पाया जाता है । तोते को अंग्रेजी में पेरेट कहते हैं । वह हरे रंग का होता है । तोते की नुकीली , मुड़ी हुई-सी लाल रंग की चोंच होती है । उसकी आंखें गोल होती हैं । वह खेतों में खेती खराब करता है । वह टें-टें करता है । वह बातूनी है और बोलता ही रहता है । उसे मिट्ठू भी कहा जाता है । उसे मिर्चटमाटरआम तीनों चीज़ें बहुत पसन्द हैं । लोग "हीरामन" तोते को ही पालतू रखते हैं । उसे पिंजरे में रखकर कुछ शब्द सिखाते हैं ।
तोते की बहुत सारी जातियाँ भी होती हैं जैसे कि- मेकेओएरोज रिंगड परेकीटएलेक्ज़ंडर परेकीट आदि । मेकेओए तोते लालहरेपीले और नीले रंग के होते हैं । रोज रिंगड परेकीट के शरीर पर लाल गोला होता है । मादा तोता को अंग्रेजी में परेकीट कहते हैं । एलेक्ज़ंडर तोता जंगल में रहता है । सच ही कहा गया है- (संकलित कविता)
                                   हरे रंग का तोता न्यारा,
                हम सब को लगता है प्यारा ॥
                 गर्दन पर है लाल गोला,
                लगता है वह पक्षी भोला ॥
                 मुँह से बोले रामराम,
                देता है मदारी को सलाम ॥

            मेरी छतरी
         (अवन्तिका,अंतरिक्षा समूह)
मेरी छतरी काले रंग की है । यह रंग मुझे अच्छा तो नहीं लगता । छतरियाँ अलग-अलग रंग की अथवा रंगबिरंगी भी होती हैं । वे हमें धूप और बारिश में भीगने से बचाती हैं । मेरी छतरी बहुत सस्ती है लेकिन बहुत उपयोगी है । वह मानव के जीवन का एक आवश्यक हिस्सा है । मेरी छतरी में एक हैंडिल भी है । छतरी में चार तारें होती हैं और एक कपड़ा उसके ऊपर लगा होत है । वह देशी और विदेशी दोनों होती है । मुझे "छतरी" पर पढ़ी यह कविता बहुत अच्छी लगती है- (संकलित कविता)
                मूड नहीं था कोई खास,
              मौसम भी था बड़ा उदास ।
              बादल में भी था क्रोध भरा,
              काला-काला था गरज रहा ।
              बारिश ने प्रश्न सुलझा दिया,
           छतरी को आखिर में खुलवा ही दिया ।
       लेकिन फिर एक बात हुईमैं बहुत हैरान हुई ।
             बालों में बूँदें मुझे महसूस हुईं,
             छतरी से तब मैं नाराज़ हुई ।
             देखा छतरी को घूर कर मैंने,
           पहचाना तभी अपनी भूल को मैंने ।
             था एक द्वार छतरी में बना,
           चूहे जी ने यह कमान था किया ।

               पेड़
         (आरतीअंतरिक्षा समूह)
पेड़-पौधों के साथ मनुष्य का गहरा संबंध रहा है । पेड़ों के बिना तो मानव-जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती । शुद्ध हवा के लिए हमारा जीवन पेड़ों पर ही निर्भर है ।
पेड़ कई प्रकार के होते हैं । वे छोटे और बड़े दोनों हो सकते हैं । पेड़ों की जड़ें भूमि को मरुस्थल बनने से रोकती हैं । जड़ें भूमि के कटाव को रोके रखने में भी मदद करती हैं । जहाँ पेड़ अधिक होते हैं , वर्षा भी ज़्यादा होती है । पत्तियों से पानी भाप बनकर उड़ता हैबादल बनते हैं और बारिश होती है । पेड़-पौधों से हमें जड़ी-बूटियाँ भी मिलती हैं जिनका प्रयोग अनेक प्रकार की बीमारियों में किया जाता है । पेड़ की शाखाओं पर चिड़ियाँ अपने घर बनाती हैं । पेड़ों से हमें खूब छाया मिलती है । गाँव में पेड़ की डालियों पर बच्चे झूला डाल कर झूलते हैं ।
मेरे घर के पीछे बहुत बड़ा बगीचा हैजिसमें विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे लगे हुए हैं । बगीचे में माली ने तरह-तरह के बीज लगाए हैं । यही बीज थोड़े दिनों में , छोटे पौधे का रूप ले लेते हैं और धीरे-धीरे मिट्टीहवापानीधूप और हमारी देखभाल से यही छोटे पौधेबड़े पेड़ों का रूप ले लेते हैं । पेड़ के लिए अच्छी मिट्टी और खाद की ज़रूरत होती है । बगीचे में कई तरह के फलों के पेड़ लगे हैं जैसे कि आमअमरूदजामुन आदि । गरमी के दिनों में पेड़ की छाया में मैं और मेरी सहेलियाँ खेलते हैं ।
बसंत ऋतु में बाग-बगीचे पेड़ों की हरियाली और फूलों से लद जाते हैं । इस समय पेड़-पौधों की सुंदरता में चार चाँद लग जाते हैं । पेड़पौधों और उनकी लकड़ी हमारे जीवन के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है । इसकी लकड़ी का उपयोग घर और फर्नीचर आदि बनाने में किया जाता है । जिस प्रकार से आज जंगल और पेड़ों को काटा जा रहा है , वह उपयुक्त नहीं है । इस अभिशाप से हमें अपनी वन-संपदा को बचाना होगा ।
            मेरा कमरा
           (अनमअम्बरा समूह)
मेरा कमरा ऊपर के हिस्से में है । अंदर घुसते ही कमरे की दाईं तरफ एक बड़ी खिड़की है । जब मैं खिड़की से देखती हूँ तो मुझे पेड़-पौधे दिखते हैं और मुझे एक प्यारा-सा कुत्ता भी दिखता है । उसकी दुम हमेशा हिलती रहती है । खिड़की के पास एक मेज़ और एक कुर्सी रखी है । दोनों लकड़ी से बनी हैं । मेज़ के ऊपर मेरे स्कूल की किताबें रखी हुई हैं । पास की एक दीवार नीले रंग की है जो मुझे बहुत सुंदर लगती है । कमरे के पर्दे भी नीले रंग के हैं । मेज़ पर एक डिब्बा हैउसमें मैं अपनी दवाइयाँ रखती हूँ । मेरे पलंग के नीचे एक बड़ी गेंद हैमैं उसके साथ शाम को खेलती हूँ ।
मेरे कमरे में दो अलमारियाँ हैं । एक अलमारी मेरी बड़ी बहन की है और दूसरी मेरी है । अलमारी में मैं अपने कपड़े रखती हूँ । अलमारी में सबसे नीचे मैं अपने जूते रखती हूँ । जब मैं चित्र बनाती हूँ तो सबसे अच्छा चित्र मैं दरवाज़े के पास चिपका देती हूँ ।  किसी दिन मेरा कमरा बहुत गंदा हो जाता है तो फिर से मैं अपनी चीज़ों को वापिस ज़ोड़कर रख देती हूँ । कमरे के एक कोने में मेरे खिलौने हैं । थोड़े-थोड़े खिलौनों से मैं खेलती हूँ और फिर मैं उनको वापिस रख देती हूँ ।
          बाघ पर परियोजना
                      (सुनयनाअम्बरा समूह)
बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु है । वह बिल्ली के परिवार से है और इस परिवार का सबसे बड़ा जानवर है । बाघ का रंग पीला और हल्का भूरा होता है । उस पर काली धारियाँ होती हैं । उसका पेट सफेद होता है । बाघ को पानी में खेलना बहुत अच्छा लगता है । बाघ का वज़न ३१७ किलोग्राम होता है । बाघ सुबह और शाम के समय में शिकार करता है । वहा कभी-कभी दिन के समय में भी शिकार करता पाया जाता है । वह हिरनसूअरबैलबंदरचिड़िया और हाथी के बच्चे का शिकार करता है ।
बाघ कई तरह के जंगल में रहता है । वह हमेशा हरे-भरे रहने वाले दक्षिण एशिया व साइबेरिया के जंगल , सुंदरबन और हिमालय की घाटियों में पाया जाता है । सौ साल पहले भारत में बाघों की संख्या लगभग ५०,००० थी । पर अब पूरी दुनिया में ५,००० से भी कम बाघ हैं । इसके दो कारण हैं -बाघों का शिकार और बाघों के रहने की जगह का नाश होना । लोग बाघ का शिकार करते हैं क्योंकि वे उसके बदन के टुकड़े बेचते हैं । बाघ की खालनाखून और मूँछ को बेचा जाता है । बाघ की मूँछ के संबंध में लोगों का यह मानना है कि इसके प्रयोग से कैंसर को ठीक किया जा सकता है । एक बाघ की खाल को बेचकर लोग वर्ष भर की कमाई कर लेते हैं , इस कारण ही बाघ का शिकार किया जाता है ।


खेती करने के लिए लोग जहाँ बाघ रहते हैं , उन जंगलों को काट देते हैं । इससे बाघ का घर उजड़ जाता है और बाघ शिकार भी नहीं कर पाता है । इसलिए ही वह जंगल छोड़कर पास के गाँव में बैल और बकरियों का शिकार करता है और तब लोग बाघ का शिकार करते हैं । प्रोजेक्ट टाइगर भारत सरकार ने १९७२ में शुरू किया था । यह बाघ और उनके जंगलों को बचाने के लिए शुरू किया गया था । प्रोजेक्ट टाइगर बाघों को सुरक्षित रखने के लिए २७ टाइगर रिजर्व बनाये गए हैं । इसलिए ही आज भारत में १,८२७ बाघ जंगल में रहते हैं । अगर आज हम बाघ को बचाने की कोशिश नहीं करेंगे तो अगली पीढ़ी के बच्चे बाघ को देख भी नहीं पाएंगे ।

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1 comment:

  1. Please help me regarding an essay on Ghar ki murgi daal barabar.

    Thanks.

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