मैं वैली स्कूल में आई. सी. एस. ई में भी हिंदी पढ़ाती हूँ । इस बोर्ड के हिंदी पेपर में कहावत के ऊपर एक निबंध पूछा जाता है । बच्चों से कई सारी कहावतों पर निबंध लिखाना मुश्किल है इसलिए हर छात्र-छात्रा को अलग-अलग कहावत दी जाती है जिस पर वे निबंध लिखते हैं और फिर कक्षा में सब छात्र-छात्राएँ अपने लिखे निबंध पढ़ते हैं जिससे सबको कहावतें भी समझ आ जाएँ और परीक्षा में उन्हें कोई मुश्किल न हो । इन कहावतों पर लिखे निबंधों को छात्र-छात्रों को सुनाया जा सकता है या उन्हें पढ़ने के लिए दिया जा सकता है जिससे उन्हें कहावतों का अर्थ अच्छी तरह से समझ आ सके । हर कहावत के आगे वर्ष लिखा गया है , इसका मतलब है कि यह कहावत बोर्ड में उस वर्ष में पूछी गई है । आशा है कि यह सामग्री अध्यापकों और अध्यापिकाओं के साथ-साथ छात्र-छात्राओं के लिए भी उपयोगी होगी ।
खोदा पहाड़ निकली
चुहिया (अदिति) 2009
बहुत बार
हुआ है कि हम बहुत मेहनत करते हैं , फिर भी हमें उस मेहनत का फल नहीं मिलता ।
कभी-कभी हम खूब पढ़ाई करते हैं फिर भी हमें बहुत कम अंक मिलते हैं ।
पिछले
वर्ष गर्मियों की छुट्टियों में मैंने अपने माता-पिता, भाई, दादा-दादी, नानी,
चाचा-चाची और चचेरे भाई के साथ मुन्नार जाने का प्रोग्राम बनाया । वहाँ पर हम सब
वैत्री रिसोर्ट में ठहरे । वह जगह अतीव सुंदर थी, वहाँ पर मैं और मेरे भाइयों ने
मिलकर खूब मज़े किये । हम हर रोज पुल में तैरते, खेलते-कूदते । हम सबको वहाँ बहुत
मजा आ रहा था ।
तभी वहाँ
पर आए एक आदमी और उसकी पत्नी ने कहा कि थोड़ी दूर एक ट्री हाउस है जिसमें हम सबको
बहुत मज़ा आएगा । उसने उस जगह की बहुत तारीफ की । अगले ही दिन हमने वहाँ गाने का
प्रोग्राम बनाया । एक घंटे के सफर के बाद हम वहाँ पहुँचे । उसी समय वहाँ बारिश
होने लगी । मुन्नार दक्षिण भारत में चाय और काफी प्लानटेशन के लिए मशहूर है ।
दूर-दूर तक हमें चाय की सुगंध आ रही थी । यह ट्री हाउस किसी चाय के एस्टेट में था
। ट्री हाउस दूर गहरे पेड़ की जगह में थी ।
जब हम
गाड़ि से निकले, उस एस्टेट के मालिक को मिले तब उसने हमें बताया कि उस मौसम में और
बारिश के बाद चाय और काफी के पौधों की मिट्टी के पास, गीली धरती के कारण से
लीच-मकोड़े होते हैं ।
लीच-मकौड़े
गीली धरती और चाय की जगह में मिलते हैं । लीच, मकौड़े चुपचाप पैर के पंजों पर चिपक
जाते हैं फिर खून चूसने लगते हैं । उनके काटने पर दर्द होता है । हम लोग दूर-दूर
जंगली रास्ते पर चलते गए । हम बहुत थक गए थे । हमने सोचा कि हम पाँच मिनट रुक जाते
हैं , थोड़ा आराम करने को, और बारिश तो धीमी हो ही गई थी ।
मैंने उस
दिन सैंडल पहने थे इसलिए मुझे सबसे पहले लगा कि मेरे पैर में कुछ अज़ीब हो रहा था ।
मुझे तो छ: साल लीचों ने काटा था । जमीन में बहुत सारे लीच घूम रहे थे । हमें लगा
कि हमें आगे नहीं बढ़ना चाहिए । हमें तीन घंटे लग गए वापिस वैत्री में पहुँचने में
। हम बहुत ही थके थे । हमने महसूस किया कि वैत्री में रहकर ही मस्ती करते तो अच्छा
होता । मुझे दिन के अंत में लगा जैसे-मुझे एक बड़ा कुआँ खोदना पड़ा हो और पानी की
जगह पर अंत में पीने का पानी मिला वो भी एक घूँट । इसे कहते हैं - खोदा पहाड़ निकली
चुहिया । इतने घंटे व्यर्थ कर दिए पर ट्री हाउस दिखा ही नहीं, साथ में पूरा दिन भी
गया ।
खोदा पहाड़ निकली चुहिया (सिन्दूरा)
रामनाथ एक
अमीर आदमी था । वह नागपुर में अपनी पत्नी के साथ रहता था । नागपुर में बहुत सारे
चोर हैं-यह बात सबको पता है । एक दिन में पाँच-छ: चोरियाँ होती हैं मगर कोई भी
आदमी इस बात पर ध्यान नहीं देता । मगर रामनाथ को बहुत परेशानी होती थी इस बात पर ।
रामनाथ एक अमीर आदमी होने पर भी एक साधारण घर में रहता था । वह अपनी पत्नी का बहुत
ख्याल रखते थे और उसकी पत्नी भी रामनाथ की बहुत देखभाल करती थी । उनकी ज़िन्दगी हर
सामान्य आदमी की तरह थी । रामनाथ बहुत चतुर था , मगर वह अपनी पत्नी को चतुर नहीं
समझता था ।
एक रात
रामनाथ बाहर खेतों से घर वापिस आ रहा था तो उसने अपने घर के पेड़ के पीछे दो
आदमियों को देखा । वे लोग चोर थे, यह वह समझ गया । रामनाथ ने घर में जाकर जोर-जोर
से अपनी पत्नी से कहा ताकि वे चोर भी उसकी बात सुन लें । वह अपनी पत्नी से
बोला," अरे लता, सारी कीमती चीज़ों को एक सन्दूक में बन्द कर रख दो । हम इस
सन्दूक को अपने खेत में कुएँ में डाल देंगे । आजकल गाँव में बहुत चोरियाँ हो रही
हैं ।"
यह बात
सुनकर चोर उसके खेत के पास गये और उसका इन्तज़ार करने लगे । रामनाथ और उसकी पत्नी
ने अपने खेत में जाकर कुएँ के अन्दर सन्दूक को डाल दिया । वे घर लौट आए । जैसे ही
रामनाथ और उसकी पत्नी वहाँ से गए, चोर कुएँ के पास आए और कुएँ का सारा पानी खाली
करने लगे । वह कुएँ के पानी में सन्दूक ढूँढ रहे थे । सुबह के सात बज गये और चोरों
को पता ही नहीं चला क्योंकि वे तो सन्दूक ढूँढने में ही लगे हुए थे । तभी उन्हें
सन्दूक मिला और वे खुश हो गए । उन्होंने जल्दी से सन्दूक में लगा ताला पत्थर मारकर
तोड़ा । जैसे ही उन्होंने सन्दूक खोला तो देखा कि उस सन्दूक में पत्थरों के अलावा
कुछ नहीं था । इससे पहले कि वे यह बात समझ पाते कि रामनाथ वहाँ आया और उन्हें सब
कुछ बताया कि कैसे उसे पता था कि उन्होंने उसकी और उसकी पत्नी की सब बातें सुन ली
हैं । पाँच मिनट के अन्दर ही पुलिस भी वहाँ पहुँच गई और उन्हें पकड़कर अपने साथ ले
गई । रामनाथ की पत्नी ने कहा कि आप आलसी तो हैं पर चतुर बहुत हैं । आपने तो एक तीर
से दो निशाने किए- एक तो कुँए से पानी निकलवाकर पूरे खेत को सींच दिया और दूसरे
चोरों को भी पकड़वा दिया । सच है तुमने चोरों को पहाड़ खोदने को कहा पर उन्हें कुछ
भी नहीं मिला । यह तो वही बात हुई -खोदा पहाड़ और मिली चुहिया ।
i like the second story
ReplyDeleteThe second story was really nice
ReplyDeleteThe second story was nice😊
ReplyDeleteLoved second story...
ReplyDeleteThe second story was nice...It is one of stories of the great pandit Tenali Rama.
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