मैं वैली स्कूल में आई. सी. एस. ई में भी हिंदी पढ़ाती हूँ । इस बोर्ड के हिंदी पेपर में कहावत के ऊपर एक निबंध पूछा जाता है । बच्चों से कई सारी कहावतों पर निबंध लिखाना मुश्किल है इसलिए हर छात्र-छात्रा को अलग-अलग कहावत दी जाती है जिस पर वे निबंध लिखते हैं और फिर कक्षा में सब छात्र-छात्राएँ अपने लिखे निबंध पढ़ते हैं जिससे सबको कहावतें भी समझ आ जाएँ और परीक्षा में उन्हें कोई मुश्किल न हो । इन कहावतों पर लिखे निबंधों को छात्र-छात्रों को सुनाया जा सकता है या उन्हें पढ़ने के लिए दिया जा सकता है जिससे उन्हें कहावतों का अर्थ अच्छी तरह से समझ आ सके । हर कहावत के आगे वर्ष लिखा गया है , इसका मतलब है कि यह कहावत बोर्ड में उस वर्ष में पूछी गई है । आशा है कि यह सामग्री अध्यापकों और अध्यापिकाओं के साथ-साथ छात्र-छात्राओं के लिए भी उपयोगी होगी ।
जाको राखे साइयाँ मार सके न कोय (ध्रुव) 2005, 2014
"जाको
राखे साइयाँ, मार सके न कोय" अर्थात जिस मनुष्य पर ईश्वर की कृपा होती है ,
कोई भी नुकसान नहीं पहुँचा सकता ।
आज सुबह
जब मैंने अखबार पढ़ा तो मेरी नज़र एक ऐसी खबर पर पड़ि जो ऊपर दी गई पंक्तियों की
सार्थकता का सबूत है । उस खबर में एक आदमी एक भयानक सड़क दुर्घटना का शिकार हुआ था
। परन्तु उसे केवल कुछ मामूली चोटेम आई थीं । जब कि उसके साथी या तो बुरी तरह घायल
हुए थे या चल बसे थे । यह पढ़कर मुझे बहुत आश्चर्य हुआ और मैं पूरी खबर पढ़ने लगा ।
यह
दुर्घटना कर्नाटक के एक छोटे गाँव के पास हुई थी । उस गाँव के पास एक सड़क थी । इस
सड़क पर यह दुर्घटना हुई थी । गाड़ी में चार लोग थे और जिस युचक को चोट नहीं आई थी,
वह गाड़ी चला रहा था । खबर में लिखा था कि उसके माँ-बाप और छोटी बहन बहुत बुरी तरह
घायल हो गए थे और अस्पताल ले जाते समय उसके पिता की मृत्यु हो गई थी । जिस पत्रकार
ने यह खबर लिखी थी , उसके अनुसार यह एक चमत्कार था कि जो व्यक्ति गाड़ी चला रहा था,
वह बच गया और जो लोग पीछे बैठे थे, वे घायल हुए थे । यह परिवार अपने घर बेंगलूरू
लौट रहा था । वे एक रिश्तेदार की शादी में मैसूर गए थे क्योंकि अगले दिन उस युवक
को अपने काम पर लौटना था , इसलिए वे रात को निकल पड़े । मैसूर से करीब डेढ़ घंटे की
दूरी पर सामान से लदा एक ट्रक उनकी गाड़ी से आ भिड़ा । यह टक्कर इतनी भयानक थी कि
गाड़ि के सामने वाला हिस्सा चूर-चूर हो गया था । ट्रक का भी एक हिस्सा दब गया था ।
खबर के
अनुसार ट्रक्चालक को रास्ते में नींद आ गई थी और उसी क्षण उसकी गाड़ी से टक्कर हो
गई । ट्रकचालक उस दुर्घटना स्थल से भाग गया था । बहुत देर बाद उस युवक और उसके
परिवर की मदद को कोई आया । गाँववालों के अनुसार उन्होंने ऐसी दुर्घटना पहले कभी
नहीं देखी थी । उन्हें लगा कि उस गाड़ी में कोई भी बचा नहीं होगा । वे आश्चर्यचकित
थे कि वह युवक कुछ ही देर में खड़ा हो गया और उनके साथ अपने परिवार के लोगों की मदद
करने लगा ।
उस
पत्रकार ने उस युवक से भी बात की । मैंने गौर से यह साक्षात्कार पढ़ा । उस युवक ने
बताया कि किस तरह यह दुर्घटना हुई । वह बहुत दु:खी था कि उसके पिता की मृत्यु हो
गई थी । पत्रकार ने जब उससे पूछा कि वह कैसे बच गया तो उसने कहा कि ज़रूर उस पर
ईश्वर की कृपा रही होगी ।" ईश्वर का खेल निराला है, इतनी भयंकर दुर्घटना के
बावजूद वह कैसे बच गया? मैं नहीं जानता, उस युवक ने कहा । यह पढ़कर मुझे किसी का
कहा कथन याद आ गया-"जाको राखे साइयाँ, मार सके न कोय ।"
जाको राखे साईयाँ मार सके न
कोए (श्रृंगी)
संसार में
कुछ ऐसे लोग हैं जो अपना दिमाग सिर्फ नष्ट करने में डालते हैं । शायद उनमें कुछ
दुर्बुद्धि हो, कोई कमज़ोरी या शायद उनका दिमाग ठीक न हो लेकिन ऐसे लोग होते हैं जो
अपना पूरा हृदय नष्ट करने में लगा देते हैं । लेकिन कभी-कभी हम देखते हैं कि पूरी
कोशिश करने के बाद भी कुछ ऐसी चीज़ें होती हैं जो नष्ट नहीं होती हैं । कोई आदमी
दूसरे लोगों को मारता जाता है, लेकिन कुछ दिन बाद उसे एक ऐसा इन्सान मिल जाता है
जो पूरी कोशिश करने के बाद भी मरता ही नहीं । ऐसी घटना होने पर मानव यह कहता है कि
यह चमत्कार की बात है या कोई जादू हो गया है । ऐसी घटना होने पर मुझे लगता है
"जाको राखे साईयाँ, मार सके न कोई" यह तथ्य सच है ।
मेरा
मानना है कि यदि किसी इन्सान में जीवित रहने की अधिक इच्छा हो , मन में ज़्यादा
हिम्मत हो और यदि भगवान चाहते हैं कि यह आदमी ज़िन्दा रहे, तो इस इन्सान को कोई
नहीं छू सकता है ।
यह
मुहावरा पढ़कर मुझे प्रह्लाद की कहानी याद आती है । प्रह्लाद के पिता जी राजा थे
लेकिन उनमें बहुत घमंड व अहंकार भी था । प्रह्लाद के पिताजी ने अपने राज्य को बोल
दिया कि वे सब उन्हें भगवान की तरह समझेंगे । परन्तु प्रह्लाद नारायण के भक्त थे
और उन्होंने अपने पिता को ईश्वर नहीं माना । इस कारण राजा को क्रोध आ गया और
उन्होंने प्रह्लाद को मारने की हज़ारों तरकीबें सोचीं । अंत में राजा ने अपनी बहन के साथ योजना बनायी । राजा की
बहन होलिका को वरदान दिया गया था । उन्हें बताया गया था कि वह कभी अग्नि में नहीं
जल पाएगी । इसलिए होलिका प्रह्लाद को लेकर आग में बैठ गयी । लेकिन प्रह्लाद तो
विष्णु कम नाम बोलता गया अर्थात अंत में होलिका जल गई और प्रह्लाद बच गया ।
इस कहानी
में हमें पता है कि ईश्वर ने प्रह्लाद को बचा ही लिया । हमें पता है कि साईं
प्रह्लाद की तरफ था । अत: यह चमत्कार की बात ही है । आज की दुनिया में तो ऐसे नहीं
होता कि आदमी आग में बैठ जाए और उसे कुछ नुकसान नहीं हो । लेकिन कुछ सोचने के बाद
मुझे ऐसी जादू वाली घटनाएं भी मिलती हैं ।
आज ही
समाचार-पत्र में निकला किसी घर में बम्ब फूट गया था । पूरे परिवार का देहांत हो
गया । अचानक परिवार की एक तीन साल की बच्ची मिली जो ज़िंदा रह गई थी ।
इसी तरह
एक बार तूफान आ गया था । गाँव के सारे लोग बुरी तरह घायल हो गए या उनकी मृत्यु हो
गई थी।नौ दिन बाद "डिसास्टर मैनेजमैण्ट टीम" वहाँ पहुँची और उन्होंने
देखा कि टूटे पेड़ के पत्तों के नीचे एक-दो महीने का बच्चा आराम से सो रहा था ।
बीमार
होने पर कभी-कभी डाक्टर कहता है कि इस बार तुम्हें बचाना मुश्किल है । फिर बिना
तर्क के वह आदमी बिल्कुल स्वस्थ होकर बच जाता है । यह सब कैसे होता है? शायद इन सब
का कोई तर्क ही हमारे पास नहीं है ।
मेरा
विश्वास है कि यदि इन्सान में हिम्मत हो, इच्छा हो, यदि वह अपनी ज़िंदगी में कुछ
करने वाला हो तो भगवान उसका ध्यान रखेगा अर्थात यदि किसी कारण के लिए परमात्मा
चाहते हैं कि वह आदमी ठीक रहे, ज़िंदा रहे, उस आदमी को कुछ नहीं हो सकता है ।
इसीलिए हम कहते हैं "जाको राखे साइयाँ मार सके न कोई ।"
Meenal Dhawan Ji, Namaste! Thank you so much for your explanation of : Jako rakhe Sayian maar sake na koi.
ReplyDeleteCould you please tell me the full lines of this poetry?
I would also like to know the name of the poet who wrote this poetry? Was it Kabir?
Please, you can write your answer here or email me at : devanand747@hotmail.com
Hoping to hear from you. Thank you! Stay blessed!
जाको राखे साइयाँ, मार सके न कोय।
ReplyDeleteअर्थ-जाको अर्थात ईश्वर को,जो व्यक्ति ईश्वर के साय मे रहता है उसे कोई मार नही सकता। ईश्वर के साय मे रहने का अर्थ है उनकी दीक्षा लेकर, उनके नियमो का पालन करना चाहिए। तभी तो ईश्वर की कृपा होगी। ईश्वर हमारे बन्धे हुये थोड़ी है।