मैं वैली स्कूल में आई. सी. एस. ई में भी हिंदी पढ़ाती हूँ । इस बोर्ड के हिंदी पेपर में कहावत के ऊपर एक निबंध पूछा जाता है । बच्चों से कई सारी कहावतों पर निबंध लिखाना मुश्किल है इसलिए हर छात्र-छात्रा को अलग-अलग कहावत दी जाती है जिस पर वे निबंध लिखते हैं और फिर कक्षा में सब छात्र-छात्राएँ अपने लिखे निबंध पढ़ते हैं जिससे सबको कहावतें भी समझ आ जाएँ और परीक्षा में उन्हें कोई मुश्किल न हो । इन कहावतों पर लिखे निबंधों को छात्र-छात्रों को सुनाया जा सकता है या उन्हें पढ़ने के लिए दिया जा सकता है जिससे उन्हें कहावतों का अर्थ अच्छी तरह से समझ आ सके । हर कहावत के आगे वर्ष लिखा गया है , इसका मतलब है कि यह कहावत बोर्ड में उस वर्ष में पूछी गई है । आशा है कि यह सामग्री अध्यापकों और अध्यापिकाओं के साथ-साथ छात्र-छात्राओं के लिए भी उपयोगी होगी ।
किसी व्यक्ति के लिए सु-उपदेश से सु-त्रास श्रेयस्कर
/बेहतर है (आनवी) 1984
संजना
कक्षा आठ में एक चुप-सी रहने वाली लड़की थी । वह अपनी पढ़ाई में काफी अच्छी थी ।
उसका एक भाई था जो उसी पाठशाला में था पर वह तीन साल संजना से छोटा था । दोनों
अपने माता-पिता के साथ रहते थे । बच्चे के
माता-पिता भी बहुत बुद्धिमान थे । माँ ने अपनी पी.एच.डी विज्ञान के विषय में की
थी, उनके पति ने गणित में पी.एच.डी की थी । बच्चे भी इनकी ही तरह पाठशाला में बहुत
अच्छा काम करते थे । संजना के सारे अध्यापक और अध्यापिकाएँ उसे बहुत पसंद करते थे
क्योंकि वह अपना सारा काम ठीक समय पर दे देती ।
संजना
हफ्ते में तीन दिन के लिए पाठशाला के बाद भरतनाट्यम नृत्य सीखने जाती थी । वह अपनी
पाठशाला की कक्षा में एक ही थी जो भारत का शास्त्रीय नृत्य सीखती थी । सारे उसके
मित्र, बोलीवुड का नृत्य या फिर गिटार या वैले सीखते थे । दो मित्र के अलावा सारी
कक्षा की लड़कियाँ उस पर हँसती थीं । वे बोलते ," हा, संजना, तुम भरतनाट्यम
सीखती हो । यह तो गाँववालों का नृत्य है । छोटे बच्चों का नृत्य है । इतना आसान
नृत्य तो कोई भी कर सकता है ।" संजना यह सुनकर बहुत उदास होती थी । उसके दो
मित्र उसे बार-बार कहते कि ऐसा नहीं है, आश्वासन देते पर फिर भी उसे बुरा लगता था
।
कक्षा में
एक लड़की थी , जो भी वह करती, बाकी लड़कियाँ भी वैसे ही करतीं । एक दिन जब यह लड़की
और अपनी सारी पूँछों के साथ संजना को चिढ़ा
रहे थे , संजना को बहुत गुस्सा आया । उसने चिल्लाते हुए कहा," अरे, तुम लोग
मुझे हर दिन परेशान क्यों करते हो? यह नृत्य इतना आसान नहीं है, जरा करके दिखाओ तो
!" सारी लड़कियाँ हँसकर बोलीं ,"ठीक है, दिखा देंगे, इसमें क्या मुश्किल
है!" फिर संजना बोली,"अगर आपकी यह नृत्य करने के बाद आसान लगे तो मुझे
चिढ़ाते रहना, नहीं तो कल से तुम सब चुप रहना ।" अब अरमंडी आसन में बैठकर मुझे
देखकर यह करो ।" सारे उसे देखकर वह करने लगे तो किसी ने कहा," मेरी
टाँग! इतना मुश्किल काम मैंने कभी नहीं किया ।" और, एक ने कहा," आह!
मेरी कमर दुख रही है ।" दूसरे ने कहा," अरे संजना, तुम ऐसा नृत्य कैसी
करती हो ।" सबको किसी न किसी अंग में दर्द हो रहा था ।
संजना
अपनी कक्षा की लड़कियों को देख, न हँसने की कोशिश कर रही थी । वे तो सारे हाथियों
की तरह नाचते थे । फिर उसने कहा," देख लिया कितना मुश्किल है ! अब तुम सारे
मुझे नहीं चिढ़ा सकते ।" सारी लड़कियों ने एक भी शब्द नहीं बोला, वे केवल धरती
की तरफ देख रही थीं । अगले दिन जब संजना पाठशाला आई तो कक्षा इतनी चुप-सी लग रही
थीं । एक भी लड़की ने उससे कुछ नहीं बोला । आखिर में सब लड़कियोम ने संजना से
मित्रता कर ली और दो-तीन तो उसके साथ ही भरतनाट्यम सीखने के लिए जाने लगी ।
इस प्रकार
यह सही है कि कुछ लोग तो प्यार से बोलने से नहीं मानते, दण्ड से ही वे सीखते हैं
अथवा किसी व्यक्ति के लिए सु-उपदेश से सु-त्रास बेहतर अथवा श्रेयस्कर होता है ।
No comments:
Post a Comment