Sunday, November 30, 2014

Story on Proverb- Doodh ka doodh pani ka pani/ दूध का दूध और पानी का पानी

मैं वैली स्कूल में आई. सी. एस.   में भी हिंदी पढ़ाती हूँ इस बोर्ड के हिंदी पेपर में कहावत के ऊपर एक निबंध पूछा जाता है बच्चों से कई सारी  कहावतों पर निबंध लिखाना मुश्किल है इसलिए हर छात्र-छात्रा को अलग-अलग कहावत दी जाती है जिस पर वे निबंध लिखते हैं और फिर कक्षा में सब छात्र-छात्राएँ अपने लिखे निबंध पढ़ते हैं जिससे सबको कहावतें भी समझ जाएँ और परीक्षा में उन्हें कोई मुश्किल हो इन कहावतों पर लिखे निबंधों को छात्र-छात्रों को सुनाया जा सकता है या उन्हें पढ़ने के लिए दिया जा सकता है जिससे उन्हें कहावतों का अर्थ अच्छी तरह से समझ सके हर कहावत के आगे वर्ष लिखा गया है , इसका मतलब है कि यह कहावत बोर्ड में उस वर्ष में पूछी गई है आशा है कि यह सामग्री अध्यापकों और अध्यापिकाओं के साथ-साथ छात्र-छात्राओं के लिए भी उपयोगी होगी

A. दूध का दूध और पानी का पानी  (मिताली, कक्षा नौ)

दुनिया में हर तरह के भाई-बहन होते हैं जो एक दूसरे की मदद करते हैं और जो एक दूसरे की शिकायत भी करते हैं। कई सत्यवादी होते हैं तो कई बेईमान । थोड़े अपने माता-पिता के जैसे होते हैं तो कई अपने माता-पिता के रास्ते पर नहीं चलते ।
पंजाब के उत्साह से भरे शहर में एक सीधा-सादा परिवार रहता था । उसमें थे- माता-पिता और उनकी दो बेटियाँ । एक का नाम रेखा और दूसरी का नाम राखी था । वे जुड़वाँ बहने थीं जो बिल्कुल समान दिखतीं थीं । राखी शैतान थी । रेखा सब की मदद करती थी जैसे कि एक अंधे आदमी को सड़क पार कराती तो कभी-कभी किसी बीमार पशु की देखभाल करती जबकि राखी सब को उल्लू बनाती और सब के साथ शरारत करती थी ।
रेखा और राखी हाल ही में एक नए स्कूल में आठवीं कक्षा पढ़ने आईं थीं क्योंकि वे एक दूसरे के समान ही दिखती थीं । उनके अध्यापक तक चकरा जाते थे । सबसे बड़ी बात तो उनका नाम भी मिलता-जुलता था ।
राखी हमेशा अध्यापकों का मज़ाक उड़ाया करती थी और अंत में सारा इल्ज़ाम अपनी जुड़वाँ बहन रेखा पर डाल देती थी जैसे कि अध्यापक की कुर्सी पर गोंद लगा देना तो कभी श्यामपट पर चित्र बना देना तो कभी कुछ और ऐसे मज़ाक उड़ाती थी । जब उनके माता-पिता को स्कूल बुलाया जाता था तब सभी रेखा को ही भला-बुरा कहते । माँ-बाप राखी जैसे रेखा को बनने को कहते और उसे डाँटते-फटकारते । ऐसे ही बहुत समय तक चलता रहा । आखिर में एक दिन राखी का खेल दूध का दूध और पानी का पानी हो गया और सब कुछ बिल्कुल साफ हो गया ।
रेखा बीमार थी और घर पर अपने माता-पिता के साथ ही थी। वह स्कूल नहीं गई। राखी स्कूल गई थी । हमेशा की तरह राखी ने शैतानी की । दरवाजे के सामने केले का छिलका डाल दिया । जब अध्यापक ने कमरे के अंदर कदम रखा तो वे एक बड़े धमाके के साथ केले के छिलके पर फिसले और सारी कक्षा हँस पड़ी। सब इतना हँसे कि लग रहा था कि मेजें और कुर्सियाँ भी हँस रही थीं। बिना सोचे-समझे जल्दी से राखी ने पूरा इल्ज़ाम रेखा पर डाल दिया । राखी भूल गई थी कि रेखा घर पर बीमार थी और स्कूल आई ही नहीं थी। जब प्राचार्य जी ने रेखा के माता-पिता को बुलाया तो उन्हें यह सुनकर धक्का लगा क्योंकि रेखा तो उनके साथ घर पर ही थी। सबकी निगाह राखी पर उठी तब सब कुछ दूध का दूध और पानी का पानी की तरह साफ हो गया ।
उस दिन ही सबको पता चला कि इन सब शरारतों के पीछे राखी ही है। उसे स्कूल से थोड़े दिन के लिए निलम्बित कर दिया गया । रेखा की अच्छाई और बिना कुछ कहे सब कुछ सहते जाने के लिए माता-पिता प्रसन्न हुए पर उन्हें दु:ख भी हुआ कि राखी ने रेखा को बहुत सताया था । माँ-बाप गुजरता समय तो वापिस ला नहीं सकते थे । पर राखी को इस व्यवहार के लिए उन्होंने रेखा को एक तोहफा दिया और आगे से उस पर झूठे इल्ज़ाम लगाने से पहले खुद भी एक बार सोचने का वादा भी किया ।

B.दूध का दूध, पानी का पानी अथवा सब कुछ स्पष्ट या साफ-साफ हो जाना (अचिन्त्या, कक्षा ८)
बहुत साल पहले एक नेता जी की बीवी की मौत हुई थी। एक होटेल के कमरे में वह मरी हुई मिली थी। पर एक अज़ीब बात थी। उसकी छाती पर किसी चाकू के निशान नहीं थे, न ही किसी ने उस पर गोली चलाई थी, उसके खाने में भी किसी ने भी विष नहीं डाला था। मरने की वजह थी -उसकी नाक मेम कपास अथवा रुई का एक टुकड़ा मिला था, जो एक खतरनाक रासायनिक पदार्थ (केमीकल) से भरा था। साँस लेते ही उसकी मृत्यु हो गई थी। मौत की यही वजह पोस्टमार्टम के बाद बताई गई थी। इस नेताजी की बीवी के वकील को यह केस लड़ने की ज़रूरत महसूस हुई। वकील साहब यानि कि मुंबाइकर बनसोडे जी इस महिला की बहुत इज़्ज़त करते थे क्योंकि ये महिलाओं के हक के लिए बहुत लड़ती थीं। उन्होंने निर्णय किया कि वे इस महिला को अवश्य न्याय दिलाएंगे।
बनसोड़े जी ने इस महिला की मौत के पीछे छिपे कारण पर काफी सोच-विचार किया और तभी उनके मन में एक बात आई कि अपनी मौत के एक दिन बाद ही यह औरत आर.टी.आई के लिए एक धरना देने वाली थी जो हर नेता के लिए अच्छा न होता । (यहाँ ध्यान देने वाली बात है कि आर.टी.आई एक "एक्ट" है जिसमें भारत का हर नागरिक सरकार से उनके बारे में कभी भी सार्वजनिक प्रश्न पूछ सकता है और कुछ दिन के बाद ही उस नागरिक को उसके पूछे गए प्रश्न का उत्तर मिलता है। यह आर.टी.आई एक्ट २०१३ में ही लागू हुआ है।) इस प्रका बनसोड़े जी को समझ में आया कि हमलावर कौन हो सकता है?
मीडिया की चिल्लाहट से नेता जी के लिए काम करना मुश्किल हो रहा था। काम अधूरा रखकर उन्हें मीडिया को इंटरव्यू देना ही पड़ा। उनकी पत्नी की मृत्यु उनके कैरियर में एक बड़ी घटना थी।
बनसोड़े जी को इन नेता जी के घर में उनके कमरे में किसी तरह से जाना था। बहुत सोच-समझकर थके होते हुए भी वे नेता जी के घर पहुँच गए। नेता जी घर पर नहीं थे और यही उपयुक्त अवसर था । उन्हें नेता जी के कमरे में कई बोतलें मिलीं। दास्ताने पहनकर सब बोतलों को उन्होंने पैक किया क्योंकि उन्हें पता था कि सबूत इन्हीं बोतलों में छिपा होगा। नेता जी के घर से निकलते ही उन्होंने गहरी साँस ली और अपने घर गए।
इस महिला की मृत्यु के बावजूद भी उसके साथियों ने धरना शुरु किया था और अभी भी वह धरना जारी था। वहाँ पुलिस उनकी सुरक्षा के लिए तैनात थी और मीडिया भी पूरी सावधानी बरत रहा था। सभी की नज़रें उस धरने पर जमीं थीं। सरकार को यह नियम पास करना ही होगा। पूरे देश के बदलाव की सोच में ही हर नागरिक डूबा हुआ था। अपने हक के लिए सब लड़ रहे थे। इतने सालों के बाद अथवा आज़ादी की क्रांति के बाद आज फिर से हकों अथवा अधिकारों की क्रांति छिड़ गई थी! जनता खुश थी । इस सब के दौरान इस महिला की मृत्यु ने कहानी को एक विचित्र मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया था।बनसोड़े जी ने कागजती काम करके कोर्ट में केस लड़ने वाले थे । कोर्ट में घबराहट के साथ हलचल भी मची थी। नेता जी के वकील बहुत गंभीर थे । बनसोड़े जी के हाथ-पैर भी ठंडे पड़ रहे थे। गहरी साँस लेकर उन्होंने वाद-विवाद शुरु किया। सबूत के तौर पर बनसोड़े जी ने बोतल पेश की और रिपोर्ट पेश की जिसमें साफ-साफ लिखा था कि उस बोतल पर नेता जी की उंगुलियों के निशान थे। सबूत के पेश करते ही बनसोड़े जी ने महिला अथवा नेता जी की पत्नी के मौत के रहस्य का पर्दा उठाकर दूध का दूध, पानी का पानी कर दिया । ऐसे सारी जनता साफ-साफ और स्पष्ट तौर पर जान गई थी कि नेता जी की पत्नी के मौत की सच्चाई क्या है?
 

4 comments: