Sunday, November 30, 2014

Story on Proverb-Tum gur n do par gur saa bolo/ तुम गुड़ न दो, पर गुड़-सा बोलो

मैं वैली स्कूल में आई. सी. एस.   में भी हिंदी पढ़ाती हूँ इस बोर्ड के हिंदी पेपर में कहावत के ऊपर एक निबंध पूछा जाता है बच्चों से कई सारी  कहावतों पर निबंध लिखाना मुश्किल है इसलिए हर छात्र-छात्रा को अलग-अलग कहावत दी जाती है जिस पर वे निबंध लिखते हैं और फिर कक्षा में सब छात्र-छात्राएँ अपने लिखे निबंध पढ़ते हैं जिससे सबको कहावतें भी समझ जाएँ और परीक्षा में उन्हें कोई मुश्किल हो इन कहावतों पर लिखे निबंधों को छात्र-छात्रों को सुनाया जा सकता है या उन्हें पढ़ने के लिए दिया जा सकता है जिससे उन्हें कहावतों का अर्थ अच्छी तरह से समझ सके हर कहावत के आगे वर्ष लिखा गया है , इसका मतलब है कि यह कहावत बोर्ड में उस वर्ष में पूछी गई है आशा है कि यह सामग्री अध्यापकों और अध्यापिकाओं के साथ-साथ छात्र-छात्राओं के लिए भी उपयोगी होगी


तुम गुड़ न दो, पर गुड़-सा बोलो  (माया)
भारत की राजधानी दिल्ली में एक परिवार रहता था। उस परिवार में एक छोटा लड़का था। उस का नाम राहुल था। वह अपने माता-पिता और बूढ़ी दादी के साथ रहता था। सुबह हर दिन राहुल के माता और पिता काम के लिए निकल जाते थे । उनके जाने के कुछ देर बाद वह पाठशाला जाने के लिए निकलता था। शाम होने पर वह घर आ जाता था और उसके माता-पिता तो रात होने पर ही घर आते थे। इस कारण ही राहुल और उसकी दादी एक दूसरे से काफी करीब थे। राहुल की दादी विधवा थीं। वे बहुत बूढ़ी हो गईं थीं। मगर अभी भी उनके ज्ञान की सीमा का अंत नहीं था। वे राहुल के साथ बातें किया करती थीं, उसके लिए खाना बनाती थीं और वे उसे बहुत-सी कहानियाँ सुनाती थीं।
एक दिन दादी ने देखा कि राहुल पाठशाला से आकर बहुत गुमसुम-सा बैठा था। दादी ने उससे पूछा कि क्या हुआ? राहुल बोला," कुछ नहीं, दादी।" ऐसा काफी दिनों तक चलता रहा। अंत में दादी अपनी जिज्ञासा न रोक पाईं और राहुल से बार-बार उसके गुमसुम रहने का कारण पूछा । आखिरकार राहुल ने उन्हें बताया,"दादी, मेरी कक्षा में छ: लड़के हैं जो मुझे बहुत तंग करते हईं और हमेशा इसी ताक में रहते हैं कि मुझे परेशान करें। वे लोग मुझसे बहुत बड़े हैं । मुझे समझ में नहीं आ रहा कि मैं क्या करूँ?" दादी बोलीं," बेटा, जो भी हो, तुम कोई भी बुरी बात उनसे न कहो। सिर्फ उनके साथ अच्छा व्यवहार करो और जहाँ तक हो सके उनसे मीठा बोलो। मीठा बोलने से हम कुछ भी नहीं खोते।" राहुल ने पूछा," दादी , क्या ऐसा करने से वे लड़के मुझे तंग करना बंद कर देंगे?" दादी ने जवाब दिया," उन्हें थोड़ा वक्त दो, बेटा! संभावना यही है कि वे तुम्हारी ओर से कोई बुरा और कड़वा शब्द न सुनने पर अपने हथियार तुम्हारे सामने डाल देंगे। कुछ समय बाद वे समझ जाएंगे और शायद तुम्हें तंग करना बन्द कर देंगे।" दादी की बात सुनकर राहुल बोला," ठीक है दादी, मैं आपकी सलाह के अनुसार ऐसा ही करूँगा।"
अगले दिन जब राहुल पाठशाला गया तो फिर से उन लड़कों ने उसे तंग करना शुरु किया। परन्तु राहुल ने उनसे कुछ नहीं कहा। वह वहाँ से चुपचाप चला गया। वे लड़के उसके इस व्यवहार को देख अवाक रह गए । अगले घंटे में कक्षा में एक परीक्षा हुई। राहुल उन्हीं छ: लड़कों में से एक लड़के के साथ बैठा परीक्षा लिख रहा था। वही लड़का हमेशा उसे तंग करने में सबसे आगे रहता था। उस लड़के को एक प्रश्न समझ नहीं आ रहा था। वह बहुत परेशान दिख रहा था। उसे परेशान देख राहुल से न रहा गया इसलिए उसने उसे वह प्रश्न समझा दिया। वह लड़का राहुल के इस मीठे व्यवहार से हैरान-सा रह गया।
अगले दिन वे सभी लड़के जो उसे तंग करते थे, उसके पास आए और उससे अपने व्यवहार की माफी मांगी। राहुल ने उन्हें क्षमा कर दिया और उस दिन से वे सब मित्र बन गए। राहुल जब पाठशाला के बाद घर पहुँचा तो सबसे पहले उसने दादी को यह बात बतायी। राहुल की बात सुनकर दादी के बूढे चेहरे पर मुसकराहट छा गई । उनके मुँह से यकायक निकला," मैंने बोला था न राहुल! मीठा बोलने से हम कुछ भी नहीं खोते। किसी ने सच ही कहा है कि तुम गुड़ न दो, पर गुड़ सा बोलो। 




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