Sunday, November 30, 2014

Story On Proverb- Aasteen ka saanp/ आस्तीन का साँप अथवा मित्र बनकर हानि पहुँचाने वाला

मैं वैली स्कूल में आई. सी. एस.   में भी हिंदी पढ़ाती हूँ इस बोर्ड के हिंदी पेपर में कहावत के ऊपर एक निबंध पूछा जाता है बच्चों से कई सारी  कहावतों पर निबंध लिखाना मुश्किल है इसलिए हर छात्र-छात्रा को अलग-अलग कहावत दी जाती है जिस पर वे निबंध लिखते हैं और फिर कक्षा में सब छात्र-छात्राएँ अपने लिखे निबंध पढ़ते हैं जिससे सबको कहावतें भी समझ जाएँ और परीक्षा में उन्हें कोई मुश्किल हो इन कहावतों पर लिखे निबंधों को छात्र-छात्रों को सुनाया जा सकता है या उन्हें पढ़ने के लिए दिया जा सकता है जिससे उन्हें कहावतों का अर्थ अच्छी तरह से समझ सके हर कहावत के आगे वर्ष लिखा गया है , इसका मतलब है कि यह कहावत बोर्ड में उस वर्ष में पूछी गई है आशा है कि यह सामग्री अध्यापकों और अध्यापिकाओं के साथ-साथ छात्र-छात्राओं के लिए भी उपयोगी होगी


आस्तीन का साँप अथवा मित्र बनकर हानि पहुँचाने वाला (अमेय)


मुझे तो उसके साथ रहना ही नहीं चाहिए था । क्या हुआ? मैं बताती हूँ । मैं स्कूल में नई विद्यार्थिनी थी । मैं उसके साथ बैठी और समय बिताया । और, न जाने कैसे हम दोनों मित्र बन गए। हाँ, वह कक्षा नौ की सबसे अधिक खूबसूरत और धनी लड़की मेरी दोस्त बन गई थी।

हम हर दिन एक साथ बैठते थे। मैं उसके साथ दोपहर का अपना खाना भी बाँटती थी। हम साथ बैठकर न जाने कितनी बातें करते थे। एक दिन इतिहास की परीक्षा में उसने मुझसे एक प्रश्न का जवाब पूछा और मैंने उसे जवाब बता दिया । हर परीक्षा में वह मुझसे प्रश्नों का उत्तर पूछती थी और मैं बता देती थी। वह मेरी सबसे अच्छी दोस्त जो बन गई थी।
छुट्टियों में , वह मेरे घर पर भी आती थी। मेरे कमरे में एक स्वर्ण शीशा है । उसे वह शीशा पसंद आया और मैंने उसको वह शीशा दे दिया । मुझे इसकी वजह से माँ से भी मार खानी पड़ी लेकिन मैं तो उसकी मित्र थी और मुझे तो उसे खुश देखना ही था। कई हफ्ते बित गए । परीक्षा के एक हफ्ते पहले उसने मुझे बार-बार फोन किया और मुझसे बहुत देर तक बातें कीं। इसकी वजह से मैं परीक्षा के लिए पढ़ाई नहीं कर पाई ।
परीक्षा का दिन आ गया । प्रश्न-पत्र देखकर मेरा दिल बैठ गया । मुझे कुछ भी याद नहीं था । मैंने उसकी ओर देखा तो मैं चौंक गई । वह तो हर प्रश्न का उत्तर लिख रही थी। मैंने उससे एक प्रश्न का उत्तर पूछा । वह ज़ोर से चिल्लायी," मैडम, मीरा मेरा उत्तर देख रही है।" उसका यह बर्ताव देखकर तो मैं अवाक-सी रह गई । मैं तो हमेशा उसे सारे उत्तर बताती थी और अब? मुझे उसकी शिकायत पर परीक्षा लिखने से रोक दिया गया और उस दिन मुझे घर वापिस जाना पड़ा । एक साल के लिए मैं परीक्षा नहीं लिख पाई । इस घटना के बाद वह मेरी आँखों से हमेशा के लिए गिर गई। मैंने उस दिन के बाद से आज तक उसे न तो देखा है और न ही मैं उससे मिलना चाहती हूँ।
आज परीक्षा लिखते समय मुझे वह दिन याद आ गया । मैंने उस पर कितना विश्वास रखा था और अब मैं ऐसी हालत में उसी के कारण हूँ। मुझे अब पता है कि वह एक आस्तीन का साँप थी क्योंकि उसने मेरी मित्र बनकर मुझे हानि पहुँचाई। हमें ऐसे लोगों को पहले से ही समझना चाहिए और अपने आप को उनसे दूर रखना चाहिए ।




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