Sunday, November 30, 2014

Story on Proverb- Naam bade aur darshan chote/ नाम बड़े और दर्शन छोटे अथवा बड़ी-बड़ी बातें करना पर असलियत में कुछ न होना




मैं वैली स्कूल में आई. सी. एस.   में भी हिंदी पढ़ाती हूँ इस बोर्ड के हिंदी पेपर में कहावत के ऊपर एक निबंध पूछा जाता है बच्चों से कई सारी  कहावतों पर निबंध लिखाना मुश्किल है इसलिए हर छात्र-छात्रा को अलग-अलग कहावत दी जाती है जिस पर वे निबंध लिखते हैं और फिर कक्षा में सब छात्र-छात्राएँ अपने लिखे निबंध पढ़ते हैं जिससे सबको कहावतें भी समझ जाएँ और परीक्षा में उन्हें कोई मुश्किल हो इन कहावतों पर लिखे निबंधों को छात्र-छात्रों को सुनाया जा सकता है या उन्हें पढ़ने के लिए दिया जा सकता है जिससे उन्हें कहावतों का अर्थ अच्छी तरह से समझ सके हर कहावत के आगे वर्ष लिखा गया है , इसका मतलब है कि यह कहावत बोर्ड में उस वर्ष में पूछी गई है आशा है कि यह सामग्री अध्यापकों और अध्यापिकाओं के साथ-साथ छात्र-छात्राओं के लिए भी उपयोगी होगी




नाम बड़े और दर्शन छोटे अथवा बड़ी-बड़ी बातें करना पर असलियत में कुछ न होना (पार्थ)
बिहार में एक आदमी राजनीति में शामिल होना चाहता था पर उसके पास राजनीति में शामिल होने की एक भी विशेषता नहीं थी। उसे राजनीति में जाना था क्योंकि उसमें बहुत सारे पैसे कमा सकते हैं। यह व्यक्ति शामनाथ था।
शामनाथ राजनीति में शामिल होने के लिए फार्म भरने गया। उसने फार्म भरा । पर एक अज़ीब बात हुई कि एक हफ्ते के बाद उसे लिफाफा मिला। उस लिफाफे में लिखा था "शामनाथ तुम्हारे पास राजनीति में आने के लिए कोई भी विशेषता अथवा गुण नहीं है इसलिए अगली बार आप फिर से कोशिश करें।" शामनाथ को बहुत बुरा लगा कि उसे राजनीति में प्रवेश नहीं करने दिया गया।
शामनाथ के पास थोड़े पैसे थे और उसने फिर से अगली बार राजनीति में जाने के लिए फार्म भरा पर इस बार उसने सारी जानकारी गल्त लिखकर फार्म भरा था। उसे ने फार्म लेने वाले आदमी को रिश्वत देकर गल्त जानकारी से भरा अपना फार्म पास करवा लिया। वह और बड़ा आदमी बनने के लिए लोगों को बताने लगा कि वह एक ईमानदार आदमी है। उसने अच्छी पाठशाला और कॉलेज से प्रथम श्रेणी में स्नातक की डिग्री हासिल की है। उसने न जाने और भी कितनी बातें ऐसी कहीं जो उसे एक प्रतिष्ठित और बड़ा आदमी सिद्ध कर सकती थीं। उसकी इन बातों को सुनकर उसका अनुकरण करने वाले लोग बढ़ने लगे जिसे देखकर उसकी खुशी का ठिकाना न रहा ।
एक दिन उसे बहुत सारे लोग और उसके अनुकरण करने वाले ही पूछने लगे कि वह बिहार में क्या-क्या अच्छे काम करेगा? उसने सबको बताया कि वह बिहार को और सुन्दर बनाएगा, बिहार के सभी बच्चों को पढ़ने के लिए पाठशाला उपलब्ध कराएगा, वह यहाँ के सभी रास्तों को नए बनाएगा, गरीबों को खाना-पीना भी सस्ते में दिलाएगा और उनकी ज़रूरतें भी पूरी कराएगा आदि। इस कारण उसका अनुकरण करने वाले लोग भी उसे पसन्द करने लगे।
पर वहाँ एक समझदार आदमी मौजूद था । उसने शामनाथ को पूछा कि वह यह सब बिहार में कैसे प्राप्त करवाएगा? यह सब कराने के लिए उसके पास रुपए कहाँ से आएंगे? अब इस प्रश्न का उत्तर शामनाथ उस आदमी को नहीं दे पाया। यह सुनकर सभा में बैठे सब दर्शकों का भरोसा उस पर से फौरन ही उठ गया। उन्हें बहुत ही बुरा लगा कि उन्हें शामनाथ ने झूठी व गल्त बातें कह फंसाया था और धोखा भी दिया था। वे सब लोग जो शामनाथ को हमेशा घेरे रहते थे फौरन ही वहाँ से उठकर चले गए। शामनाथ को धोखाधड़ी के कारण जेल में डाल दिया गया क्योंकि वह गुनाहगार सिद्ध हो गया था । यह कहानी "नाम बड़े और दर्शन छोटे" वाली कहावत को पूरी तरह से सिद्ध करती है। शामनाथ ने अपना नाम बड़ा दिखाने की कोशिश की पर वास्तव में उसका छोटापन सबके सामने आ ही गया।

मुझे लगता है कि किसी भी आदमी को अपना काम पैसों से नहीं चुनना चाहिए बल्कि अपने काम को करने की खुशी से चुनना चाहिए । किसी भी आदमी को अपने को बड़ा बनाना है तो उसे मेहनत करके वह विशेषता पाने की कोशिश करनी चाहिए।

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