Monday, March 31, 2014

Story on proverb- Vah apne vachan ki tarah pakka tha/ वह अपने वचन की तरह पक्का था


मैं वैली स्कूल में आई. सी. एस. ई  में भी हिंदी पढ़ाती हूँ । इस बोर्ड के हिंदी पेपर में कहावत के ऊपर एक निबंध पूछा जाता है । बच्चों से कई सारी  कहावतों पर निबंध लिखाना मुश्किल है इसलिए हर छात्र-छात्रा को अलग-अलग कहावत दी जाती है जिस पर वे निबंध लिखते हैं और फिर कक्षा में सब छात्र-छात्राएँ अपने लिखे निबंध पढ़ते हैं जिससे सबको कहावतें भी समझ आ जाएँ और परीक्षा में उन्हें कोई मुश्किल न हो । इन कहावतों पर लिखे निबंधों को छात्र-छात्रों को सुनाया जा सकता है या उन्हें पढ़ने के लिए दिया जा सकता है जिससे उन्हें कहावतों का अर्थ अच्छी तरह से समझ आ सके । हर कहावत के आगे वर्ष लिखा गया है , इसका मतलब है कि यह कहावत बोर्ड में उस वर्ष में पूछी गई है । आशा है कि यह सामग्री अध्यापकों और अध्यापिकाओं के साथ-साथ छात्र-छात्राओं के लिए भी उपयोगी होगी । 



वह अपने वचन की तरह पक्का था  (जश) 1982
राम एक गाँव में रहता था, वह सबसे बुद्धिमान था और वो स्कूल भी जाता था । राम को बड़े-बड़े सपने आते थे जैसे कि अपने गाँव को बदल कर एक अच्छा शहर बनाना और फिर शहर को हरा-भरा रखना । ऐसे सपने सिर्फ राम को आते थे गाँव में ,ऐसे हुआ क्योंकि सब गाँववाले गरीब थे और इसीलिए उन सब ने यह बात छेड़ी । राम के मन में एक सोच आई-"अगर मैं स्कूल में अच्छा करुँ तो मुझे बहुत सारी बधाइयाँ मिलेंगी और लोग मुझे पहचानेंगे और फिर मैं लोगों को अपनी सोच बता सकता हूँ और फिर मैं अपना सपना पूरा कर सकता हूँ ।
राम काफी आत्मविश्वासी था । राम ने पहले से वादा किया था अपने पिताजी से और पूरे गाँव में कि राम पूरे गाँव को शहर बनाएगा । राम के पिताजी बड़े खुश थे पर उनको चिंता भी थी कि राम अपने स्कूल की परीक्षा में पास होगा या नहीं ।
राम स्कूल में पढ़ाई में बहुत अच्छा था और बहुत मशहूर था । इस वजह से राम के कई दुश्मन थे और उससे ईर्ष्या करते थे । कई बार राम के शत्रु ने उसे फँसाने की भी कोशिश की, पर राम समझदारी से हर मुश्किल समझ जाता । राम के स्कूल में उसके बहुत सारे दोस्त थे । राम ने अपनी अध्यापिका को बताया कि उसे पूरे गाँव को एक शहर बनाना है । राम का जब स्कूल खत्म हो जाता, तब वह अपना गृहकार्य पूरा कर लेता और फिर अपनी कल्पना के शहर का चित्र बनाता । राम का स्कूल खत्म होने वाला था और फिर वह परीक्षा में पहला भी आया । राम की ज़िंदगी अच्छी चली पर फिर राम के पिताजी की नौकरी चली गई । राम बहुत दु:खी था, पर उसने उम्मीद नहीं छोड़ी ।
राम रोज़ शहर में अखबार बेचने लगा । एक दिन जब राम अखबार बेच रहा था तब उसने देखा कि एक वास्तुकार एक स्कूल खोल रहा था जो लोगों को मकान बनाना सिखाता है । राम को उस स्कूल में जाना था पर उस स्कूल को बहुत पैसे देने थे । राम ने अपने बनाए चित्र, वास्तुकार को भी दिखाए । वास्तुकार उसके बने हुए चित्र को देखते ही चकित रह गया । इसके बाद वास्तुकार ने राम की मदद की उसके गाँव को शहर बनाने में । कई सालों बाद शहर बन गया और सब लोगों को पसंद भी आया । राम को इसके लिए बहुत पुरस्कार मिले और फिर राम ने एक भाषण दिया जिसमें अपने जीवन के बारे में बताया और फिर सबने उसकी सहायता की ।
एक आदमी जो राम का भाषण सुन रहा था, उसने सबसे कहा कि राम "अपने वचन की तरह पक्का था ।"

वह अपने वचन की तरह पक्का था  (अदिति)
भोपाल के राजा एक बहुत सच्चे आदमी थे । वे कभी भी कोई झूठ नहीं बोलते थे । लोग उन्हें देखकर कहते थे-"अरे! यह राजा अपने वचन का पक्का है ।" राजा हमेशा अपने दिए वचन को पूरा करता था । अगर किसी को कुछ चाहिए तो वे उन्हें देने का वादा करके ज़रूर ही वह देते थे । सबको लगता था कि मनुष्य के रूप में मानो राजा के रूप में भगवान ही धरती पर आ गए थे । सब कुछ ठीक चल रहा था , सब लोग खुश थे । पूरे राज्य में कोई भी राजा से नफरत नहीं करता था ।
पर राजा का एक भाई था जो उनसे बहुत नफरत करता था । वह उनसे नफरत इसलिए करता था क्योंकि उनके माता-पिता ने राज्य उसके हाथों में नहीं बल्कि उसके छोटे भाई के हाथों सौंपा था । किसी भी तरह वह अपने राज्य को अपने छोटे भाई से छीनना चाहता था । वह उसकी सच्चाई और ईमानदारी के गुण के बारे में जानता था । उसे पता था कि राजा अपने वादे का भी पक्का था । यह सोचकर वह एक योजना बनाने लगा । सब कुछ सोचकर उसे लगा कि दो दिन में ही राज्य उसके कब्ज़े में होगा ।
सुबह-सुबह राजा अपने महल के बाग में बैठे थे और चाय पी रहे थे । उन्हें क्या पता था कि आज उनके हाथों से उनका राज्य छीन लिया जाएगा । चाय पीते-पीते अचानक उन्होंने देखा कि उनके बड़े भाई उनकी तरफ ही चले आ रहे थे । राजा अपने भाई पर बहुत विश्वास करते थे । उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उनका बड़ा भाई उन्हें धोखा दे सकता है और उनका बुरा सोचता है । वह अपने बड़े भाई के साथ बातचीत करने लगे ।
राजा- कैसे हैं बड़े भाईसाहब? इतने दिनों आप कहाँ रहे?
भाई- ठीक हूँ , यहीं था मैं ।
राजा- आज कल आप क्या कर रहे हैं ?
भाई- इस समय मेरे पास इन सब बातों के लिए समय नहीं है । बस, मुझे तुम्हारी मदद चाहिए ।
राजा- क्या हुआ? क्या मदद चाहिए ? मैं अवश्य आपकी मदद करूँगा ।
भाई- पक्का वादा ! क्या तुम अवश्य मेरी मदद करोगे ।
राजा- बिल्कुल सच ! आपको तो पता ही है कि जो भी मैं कहता हूँ ,उसे अवश्य निभाता हूँ ।
भाई- मुझे यह राज्य चाहिए, मेरा राज्य है और मुझे यह वापिस चाहिए ।
राजा- क..क...क्या ?

राजा ने कभी नहीं सोचा था कि उनका बड़ा भाई उनसे राज्य माँगेगा । पर वह अपने वचन को पूरा करने के लिए राज्य अपने बड़े भाई को दे देता है । थोड़े दिनों के बाद बड़े भाई को बुरा लगता है । उसे अपनी गल्ती को एहसास होता है और वह राजा को राज्य लौटा देता है । राजा ने अपने बड़े भाई का हृदय परिवर्तन देखकर उनहीम अपना सबसे विश्वस्त मंत्री बनाया । एक बार फिर से पूरे शहर में खुशी की लहर छा गई । सच में, वह अपने वचन का पक्का था ।


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