Monday, March 31, 2014

Story on proverb- Manusha hai vahi jo manushya ke liye mare/ मनुष्य है वही जो मनुष्य के लिए मरे


मैं वैली स्कूल में आई. सी. एस. ई  में भी हिंदी पढ़ाती हूँ । इस बोर्ड के हिंदी पेपर में कहावत के ऊपर एक निबंध पूछा जाता है । बच्चों से कई सारी  कहावतों पर निबंध लिखाना मुश्किल है इसलिए हर छात्र-छात्रा को अलग-अलग कहावत दी जाती है जिस पर वे निबंध लिखते हैं और फिर कक्षा में सब छात्र-छात्राएँ अपने लिखे निबंध पढ़ते हैं जिससे सबको कहावतें भी समझ आ जाएँ और परीक्षा में उन्हें कोई मुश्किल न हो । इन कहावतों पर लिखे निबंधों को छात्र-छात्रों को सुनाया जा सकता है या उन्हें पढ़ने के लिए दिया जा सकता है जिससे उन्हें कहावतों का अर्थ अच्छी तरह से समझ आ सके । हर कहावत के आगे वर्ष लिखा गया है , इसका मतलब है कि यह कहावत बोर्ड में उस वर्ष में पूछी गई है । आशा है कि यह सामग्री अध्यापकों और अध्यापिकाओं के साथ-साथ छात्र-छात्राओं के लिए भी उपयोगी होगी । 



मनुष्य है वही जो मनुष्य के लिए मरे (आनया) 1998. 2011
राजकुमार दिलीप सम्राट नगर के महाराजा-महारानी का एकलौता बेटा था । बचपन से ही वो बहुत नटखट था । उसे दूसरों को तंग करने में बहुत मज़ा आता था । उसे जानवरों का शिकार करने में और लोगों को मारने-पीटने में बहुत खुशी मिलती थी । सम्राट नगर के वासी उससे नफरत करते थे । उसे जो भी पसंद आता था, वह उसे ज़बरदस्ती उठा लेता था । जो उसके खिलाफ उठता था, वह उसे मारता-पीटता था । कई बार उसे जान से भी मार देता था । उसे किसी का डर या भय नहीं था । महाराजा और महारानी ने उसे बहुत समझाया कि उसे अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और प्रजा को खुश रखना चाहिए । मगर राजकुमार दिलीप का अत्याचार नहीं रुका ।
एक दिन इसी बात को लेकर महाराजा और राजकुमार में बहुत गरमा-गरमी हुई । महाराजा ने गुस्से में आकर दिलीप को राजगद्दी से बेदखल कर दिया । शराब के नशे में धुत राजकुमार से यह सब सहा नहीं गया और उसने अपनी तलवार से महाराजा को खत्म कर दिया और खुद को सम्राट नगर का नया महाराजा घोषित कर दिया । महाराज बनने के बाद उसका लालच बढ़ गया । आस-पास के जितने देश थे , उन पर आक्रमण कर उसने सब देशों को अपने राज्य में शामिल करने की ठान ली । दिलीप की सैन्य शक्ति सबसे ताकतवार थी । जब उसके सैनिक दूसरे राज्यों पर धावा बोल रहे थे, तब वह अपने महल में बैठकर अय्याशी करता था । महाराजा दिलीप का परम मित्र जो उसके भाई से भी बढ़कर था , उसके सैनिकों का नेता था । उसने भी दिलीप को युद्ध में न जाने के लिए समझाया , लेकिन महाराजा ने उसकी एक न मानी । दक्ष एक बहुत ही अच्छा और नेक इंसान था । दक्ष एक शर्त पर युद्ध में जाने के लिए तैयार हो गया कि दिलीप युद्ध में नहीं जाएगा । उसने ऐसा इसलिए किया कि महाराजा दिलीप की जान सुरक्षित रहे । काफी राज्यों को जीतने के बाद एक युद्ध में दक्ष पर शत्रुओं ने पीछे से आक्रमण कर बुरी तरह से उसे घायल कर दिया ।
जब महाराज दिलीप को यह खबर मिली, तो वह भाग-भाग कर वहाँ पहुँचे । पहुँचने पर महाराजा दिलीप को पता चला कि दक्ष की हालत बहुत नाज़ुक थी और वह दक्ष को बचा नहीं सकता था । यह जानकर महाराजा दिलीप टूट गए क्योंकि वह दक्ष को अपनी जान से बढ़कर मानते थे । दक्ष इस हालत में भी दिलीप को युद्ध भूमि पर ले जाता है और वह चारों तरफ मरे हुए सैनिकों को दिखाता है । वह बोलता है कि ,"मेरे मरने पर आपको दु:ख हो रहा है । सामने देखिए कि लालच ने अपने पिता को अपने बेटे से पति को पत्नी से, माँ को बेटे से अलग किया है । अगर महाराजा दिलीप ने यह युद्ध समाप्त नहीं किया तो दक्ष जैसे लाखों सैनिक मरते रहेंगे ।" यह बोलकर दक्ष की आँखें सदा के लिए बन्द हो गईं ।
दक्ष की मृत्यु ने महाराजा दिलीप की आँखें खोल दीं । उसने कसम खाई कि वह आगे युद्ध नहीं करेगा और अपनी सारी ज़िन्दगी शान्ति स्थापित करने में लगाएगा । दक्ष अन्त में समझा गया था कि मनुष्य है वही , जो मनुष्य के लिए मरे । दक्ष ने जाते-जाते उसे मानवता का पाठ पढ़ाया था । उसी मानवता पर वह अंतिम समय तक चला ।

मनुष्य है वही जो मनुष्य के लिए मरे (नवनीत)
मैं और मेरा दोस्त समुद्र के जल के पास मिट्टी पर बैठे थे । राकेश मेरा दोस्त था, वह कालेज में था पर मेरे साथ बात किया करता था । हम दोनों अच्छे दोस्त थे, हम सब काम साथ-साथ करते थे । अब तो सर्दी की छुट्टियाँ थीं और हम रोज़ समुद्र तट पर जाते थे और थोड़ा तैरते थे । हम उधर ही बैठकर बात कर रहे थे जब हमने देखा कि एक लड़का जो दस साल का दिख रहा था , वह पानी के बहुत पास जर रहा था और फिर डर से इस तरफ भाग आता था । इस तरह दस मिनट तक वह ऐसे ही करता रहा । उसके बाद मैं और राकेश लस्सी लेने दुकान पर गए, फिर से उसी जगह पर हम वापिस लौटे । आकर हमने देखा कि वह लड़का वहाँ नहीं था । हम दोनों ने कुछ खास नहीं सोचा और लस्सी पीने लगे । कुछ देर बाद एक आदमी आया और "रोहन" चिल्लाने लगा । मुझे लगा कि वह लड़का जो इधर खेल रहा था, शायद वह ही रोहन था । यह सोचकर मैं उस आदमी के पास गया और पूछा कि "क्या आपका बच्चा इधर आया था और क्या वो दस साल का है ?" उस आदमी ने कहा कि हाँ , वो ही रोहन है । मैंने उसे कहा कि मैंने उसको कुछ देर पहले इधर ही देखा था फिर मैं कहीं चला गया । तभी हमें चिल्लाने की आवाज़ सुनाई दी । वह आवाज़ समुद्र से आ रही थी । मैंने और उस आदमी ने देखा कि रोहन समुद्र के अंदर फंसा था और वह तैर नहीं पा रहा था बल्कि डूब रहा था । डरते हुए मैंने उस आदमी से पूछा," क्या तुम्हारा बेटा तैर सकता है?" उस आदमी ने नहीं कहा। मैंने यह सुनते ही जल्दी से चिल्लाकर राकेश को बुलाया । मुझे तैरना आता था पर गहरे पानी में नहीं ।
राकेश भागते हुए आया और मैंने उसे सब कुछ बता दिया । राकेश तुरन्त पानी में कूदा और रोहन की दिशा में तैरने लगा । मैंने उस आदमी से एंबूलैंस बुलाने को कहा । न जाने कितने मिनट बीत गये पर राकेश और रोहन नहीं दिखाई दिए । थोड़ी देर में एंबूलैंस भी आ गई पर अभी तक दोनों का अता-पता नहीं था । अचानक रोहन दिखाई दिया पर राकेश नहीं । तभी देखा कि राकेश रोहन के पीछे था और दोनों बाहर आए । राकेश बाहर आते ही गिर गया । रोहन ठीक था पर राकेश को अस्पताल लेकर जाना पड़ा । रोहन के पिता भी मेरे साथ अस्पताल आए । अस्पताल पहुँचत ही डाक्टर ने राकेश के कुछ टेस्ट लिए और बाहर आकर कहा ," राकेश को ठीक होने में कुछ समय लगेगा ।" यह सुनकर मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा ।
मुझे बार-बार यह बात खाए जा रही थी कि रोहन तो बिल्कुल ठीक था पर राकेश को यह सब कैसे हो गया ? मैं काफी थक गया था इसलिए राकेश के बिस्तर के पास पड़ी कुर्सी पर ही सो गया । मुझे एक सपना आया जिसमें हम अथवा राकेश और मैं दोनों समुद्र में गए और वह पानी में डूब गया पर किसी ने मुझको बचा लिया । हम उसे अस्पताल लेकर गए तो डाक्टर उसको टेस्ट करके बाहर आए और बताया कि राकेश को वे बचा नहीं सके । तभी मेरी नींद खुल गई ।

डाक्टर ने मुझे कहा कि राकेश अब ठीक है और हम घर जा सकते हैं । रोहन के पिता ने अस्पताल का पूरा बिल भर दिया था , आखिर राकेश ने ही रोहन को बचाया था । जब हम घर वापिस लौट रहे थे तो मैंने राकेश से पूछा कि वही सिर्फ पानी में क्यों डूबा, रोहन क्यों नहीं ? उसने कहा कि वह पानी के अंदर गया था और नीचे से रोहन को उठा कर बाहर लाया तभी वह पानी में डूबा था ।




8 comments:

  1. THANKS VERY MUCH
    Loved it.It helped me and my friends TO complete our Projct. Greetings from me and 300 people to you ma'am.

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  2. Very bad







    Sorry I mean very much good






    Love from 9000 students

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  3. Mam it was good but handwriting ,
    🙄🙄🙄🙄🙄☹️☹️

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  4. Thanks you helped me to cheat in my exam.

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