मैं वैली स्कूल में आई. सी. एस. ई में भी हिंदी पढ़ाती हूँ । इस बोर्ड के हिंदी पेपर में कहावत के ऊपर एक निबंध पूछा जाता है । बच्चों से कई सारी कहावतों पर निबंध लिखाना मुश्किल है इसलिए हर छात्र-छात्रा को अलग-अलग कहावत दी जाती है जिस पर वे निबंध लिखते हैं और फिर कक्षा में सब छात्र-छात्राएँ अपने लिखे निबंध पढ़ते हैं जिससे सबको कहावतें भी समझ आ जाएँ और परीक्षा में उन्हें कोई मुश्किल न हो । इन कहावतों पर लिखे निबंधों को छात्र-छात्रों को सुनाया जा सकता है या उन्हें पढ़ने के लिए दिया जा सकता है जिससे उन्हें कहावतों का अर्थ अच्छी तरह से समझ आ सके । हर कहावत के आगे वर्ष लिखा गया है , इसका मतलब है कि यह कहावत बोर्ड में उस वर्ष में पूछी गई है । आशा है कि यह सामग्री अध्यापकों और अध्यापिकाओं के साथ-साथ छात्र-छात्राओं के लिए भी उपयोगी होगी ।
एकता से उन्नति होती है, अनेकता से अवनति होती है (रयान)
1991
यहा से
बहुत दूर एक गाँव गोरखपुर है । इस गाँव की आबादी लगभग दो सौ के करीब थी । इस गाँव
के लोग गाय चराकर अपनी रोजी-रोटी कमाते थे । यह गाँव एक घने जंगल के पास था और रोज़
गाँव की सभी गायें उधर चरने जाती थीं । इस घने वन में तरह-तरह के पशु-पक्षी थे ।
सारे गाँव में शान्ति थी पर अचानक एक दिन गाँव के वन में एक बाघ आया । वह कुछ
शिकारियों से भागकर इस वन में पहुँचा था । वह भूखा था और खाने की खोज में था । इसी
समय कुछ दस-बीस गायें वहीं चर रही थीं । उसमें से एक गाय दूसरी गायों से बिछड़ गई
थी और अकेले चरने निकल पड़ी थी । उसे पता नहीं था कि बाघ यहीं कहीं आस-पास था । बाघ
को यह गाय दिख गई और वह उसे मारने के लिए तैयार हो गया । उसने एक ऊँची-सी छलांग
मारी और गाय को तुरन्त मारकर खा लिया ।
कुछ घण्टे
बाद......... वन की सभी दूसरी गायों का पेट भरा हुआ था और वे वापिस घर जाने लगीं ।
तभी सबसे बूढ़ी गाय ने देखा कि उनकी एक दोस्त पूरे झुण्ड के साथ नहीं है । सारी
गायों ने अपनी शहीद हुई दोस्त का नाम पुकारा और उसे ढूँढने लगीं । तब ही बाघ
झाड़ियों में से छलांग मारकर आया, उसका भरा हुआ पेट देखकर सारी गायों को पता चल गया
कि क्या हुआ था उनकी दोस्त के साथ ।
बाघ काफी
शान्त आवाज़ में बोला कि अगर कल से उसकी गुफा के पास रोज एक गाय नहीं भेजी गई तो
बाघ सब गायों को शान्ति से चरने नहीं देगा तो गायों के पास कोई चारा नहीं था तो
उन्होंने बाघ की हाँ में हाँ मिलाई । दूसरे दिन से प्रतिदिन एक-एक गाय को बाघ की
गुफा के पास जाना पड़ा और एक दिन ऐसा हुआ कि एक गाय के बच्चे की बारी आई । सब बहुत
दु:खी थे लेकिन वह बच्चा उदास नहीं था क्योंकि उसने एक उपाय सोचा था । उसने अपने
भाइयों और बहनों से कहा कि इस गाँव की सारी गायें बाघ से काफी ताकतवर हैं और कि
अगर हम सब बाघ से एक साथ लड़ें तो हम बाघ को इस गाँव से भगा सकते हैं और दूसरे दिन
वैसा ही हुआ । सारी गायों ने जब बाघ की गुफा को घेर लिया तो बाघ के पास कोई चारा
नहीं था । वह अपनी दुम दबाकर वह वन छोड़कर भाग गया और वापिस आने की सोची भी नहीं ।
तभी सारी गायें खुश होकर चिल्ला उठीं । तब सबसे बूढ़ी गाय ने कहा," मेरे
भाइयों और बहनों , यह बात मत भूलो कि एकता से उन्नति होती है और अनेकता से अवनति
।"
एकता में बल है
(मृंगाक)
हम सब
जानते हैं कि एकता में बल होता है । एक लकड़ी आराम से मुड़कर टूट जाती है, परन्तु
बहुत सारी लकड़ियाँ मिलकर मज़बूत हो जाती है। उन्हें तोड़ना असंभव होता है । इस
प्रकार एक धागा आसानी से टूट जाता है, लेकिन बहुत सारे धागों की लच्छी को तोड़ना
नामुमकिन होता है । यह स्पष्ट है कि अगर सब मिलकर एकता के साथ काम करें तो संसार
में उन्नति होती है । हमारा भारतीय इतिहास भी हमें यही दिखाता है । जब भी राजपूत
राज्यों या मुगल भाइयों के बीच युद्ध हुआ, तब राज्य टूटे और बिखरे । अंग्रेजों ने
भी एकता की कमी का फायदा उठाकर भारत पर राज्य किया । १८५७ का संग्राम भी असफल रहा
क्योंकि उसमें एकता नहीं थी । हमारे जीवन में आज भी कई उदाहरणोम से यही पता लगता
है कि एकता में बल व उन्नति है ।
कुछ साल
पहले की बात है । बनारस के पास एक छोटा-सा गाँव सिरसी था जिसमें कम से कम सौ लोग
रहते थे । सिरसी एक छोटी-सी नदी के तट पर बसा था । हर साल एक आदमी अपने घर को बाढ़
से बचाने की कोशिश करता था । इस बाढ़ से लोगों का बहुत नुकसान होता था । एक आदमी
अकेले अपने घर को नहीं बचा पाता । फिर एक बार एक आदमी ने उपाय सोचा । उसने दूसरे
गाँव वालों से कहा कि यदि हम मिलकर बाढ़ को रोकने की कोशिश करें तब शायद कुछ प्रभाव
पड़ेगा । जब बाढ़ फिर से आयी तब सब लोगों ने मिलकर बड़े पत्थरों को रखकर उन्होंने
छोटी-सी दीवार बनाना शुरु किया । सब लोग
तेज़ी से काम कर रहे थे । तभी बारिश होने लगी । धीरे-धीरे बारिश बढ़ती गई । पर तब तक
दीवर लगभग बन चुकी थी । रात होने पर सब लोग चले गए । उन्होंने दूर जाकर ऊँचे-ऊँचे
पेड़ों पर चढ़कर वहीं बैठ पूरी रात गुज़ारी । सभी लोग सोच रहे थे कि जो भी काम उन
लोगों ने क्या है, उससे बाढ़ पर कुछ असर नहीं पड़ेगा । सुबह जब वे गाँव में लौट कर
आए तब सब लोगों ने देखा कि सब कुछ पहले जैसा दिख रहा है । कई लोगों ने अपने घर के
अंदर जाकर देखा तो पाया कि कुछ नहीं टूटा है । अब लोग समझ गए कि उन लोगों ने मिलकर
काम किया तभी यह कमाल हो गया । इससे पता चलता है कि एकता में बल होता है । सिरसी
गाँव में सबने मिलकर गाँव को बाढ़ से ही नहीं बचाया बल्कि बाढ़ के पानी को सिंचाई के
लिए भी इस्तेमाल किया । इससे गाँव नुकसान से बचा और उन्नति के रास्ते पर चल पड़ा ।
दुनिया
में कोई भी अविष्कार या खोज इंसान के तब काम आती है जब और लोग उस पर अध्ययन करते
हैं । उससे सब मिलकर प्रगति या उन्नति लाते हैं । हमने कई बार देखा है कि भारत के
कानून में बदलाव लाने के लिए पूरे देश को आवाज़ उठानी पड़ती है । हाल ही में औरतों
के प्रति अत्याचार से लड़ने के कानून को बदलने के लिए पूरे देश में प्रदर्शन हुए ।
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